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पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर कांग्रेस का केंद्र पर तंज, कहा- सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को बेच रही है

कांग्रेस ने शुक्रवार को सरकार पर मुनाफे में चल रहे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को कमजोर कर उन्हें बेचने का प्रयास करने का आरोप लगाया और कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।

कांग्रेस ने शुक्रवार को सरकार पर मुनाफे में चल रहे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को कमजोर कर उन्हें बेचने का प्रयास करने का आरोप लगाया और कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए। पार्टी के वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला और प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने यह दावा भी किया कि सरकार के पास कोई आर्थिक मॉडल नहीं है।
शुक्ला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ इस सरकार का आर्थिक मॉडल समझ नहीं आ रहा है। अगर सरकारी खजाना खाली है तो सारी चीजों के दाम बढ़ाकर उसे भरने की कोशिश की जा रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार के समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 115 डॉलर प्रति बैरल थी तो पेट्रोल 68 रुपये प्रति लीटर मिल रहा था।
लेकिन आज कच्चे तेल की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल है तो पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। इस पर कोई नहीं बोल रहा है। वो अभिनेता भी नहीं बोल रहे हैं, जो कांग्रेस की सरकार में बोलते थे।’’ शुक्ला ने दावा किया, ‘‘सरकार मुनाफे में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को बेच रही है। अगर इसी तरह सरकारी संपत्तियों को बेचा गया तो सरकार सिर्फ दिल्ली में नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक तक सीमित हो जाएगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को मुनाफे वाली कंपनियों को बेचने के फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। उनको बेचने के बजाय उन्हें मजबूत किया जाना चाहिए।’’ गौरव वल्लभ ने भारतीय नौवहन निगम और कुछ अन्य पीएसयू का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया, ‘‘इस सरकार ने पीएसयू की सेल लगाई है। वह उन कंपनियों को बेच रही है जिनको पूर्ववर्ती सरकारों के समय खड़ा किया गया था। इस सरकार के पास कोई नजरिया नहीं है।
उसके पास आय का साधन सिर्फ सरकारी संपत्तियों को बेचना और पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क को बढ़ाना है।’’ कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘‘संप्रग सरकार के 10 साल में पीएसयू के विनिवेश से कुल 1.14 लाख करोड़ रुपये एकत्र हुए। जबकि मोदी सरकार ने पांच साल में 2.80 लाख करोड़ रुपये पीएसयू में विनिवेश करके या फिर बेचकर एकत्र किए गए।’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या सरकार पीएसयू को जानबूझकर कमजोर कर रही है? क्या उसके पास कोई दूसरा आर्थिक मॉडल नहीं है? क्या सरकार निजीकरण का काम किसी एजेंडे के तहत कर रही है?’’

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