कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने सोमवार को नागरिकता संशोधन कानून पर देशभर में हो रहे प्रदर्शनों के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया अैर कहा कि अगर यह कानून नहीं आया होता तो ऐसे हालात से बचा जा सकता था। आजाद ने बीजेपी नीत केंद्र सरकार पर जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर और राज्य के दर्जे को कमतर करके राज्य की जनता की आकांक्षाओं को खत्म करने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने ‘एजेंडा आज तक’ कार्यक्रम में बीजेपी के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि नये कानून के खिलाफ प्रदर्शनों को विपक्षी दल हवा दे रहे हैं। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष आजाद ने कहा, ‘‘यह सरकार एक ऐसा कानून लाकर देश में हिंसा के लिए इकलौती जिम्मेदार है जिसका पूरे देश में विरोध हो रहा है और सभी विपक्षी राजनीतिक दल इसके खिलाफ हैं। अगर सरकार यह कानून नहीं बनाती तो कोई हिंसा नहीं होती। इसलिए केंद्र सरकार ही जिम्मेदार है।’’
सत्ताधारी दल पर राज्यसभा में कुछ दलों पर दबाव डालकर समर्थन जुटाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले करीब छह वर्षो में इस तरह की बात देखी गई है कि कुछ क्षेत्रीय दलों पर किस तरह से दबाव डाला जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार को जब कुछ नहीं सूझता तब वह पाकिस्तान का भय दिखने लगती है।
उन्होंने बिल्ली, चूहे को डराने के लिये तो पाकिस्तान ठीक है लेकिन पाकिस्तान का नाम लेकर कब तब देश की जनता को डरायेंगे। आजाद ने कहा कि पाकिस्तान का हाल आज वैसा ही है, जैसे भूसा या रूई भरकर नकली शेर खड़ा कर, उसका हौवा दिखाया जाता है। जामिया मिलिया इस्लामिया विवि में छात्रों पर पुलिस की कथित कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए आजाद ने कहा कि उनकी पार्टी इसकी सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश के मार्गदर्शन में न्यायिक जांच कराने और दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग करती है।
आजाद ने कहा कि अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को समाप्त करने से जम्मू कश्मीर के लोगों की ‘उम्मीदों की मौत’ हुई है और इसके लिये केंद्र की बीजेपी नीत सरकार जिम्मेदार है। गौरतलब है कि देश के कई हिस्सों में संशेाधित नागरिकता कानून का विरोध हो रहा है। जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय परिसर में पुलिस की कार्रवाई से उत्पन्न हुआ तनाव सोमवार को हैदराबाद, लखनऊ, मुम्बई और कोलकाता सहित देश के कई विश्वविद्यालय परिसरों में फैल गया।
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली में जारी प्रदर्शन ने उस समय उग्र रूप ले लिया था जब रविवार को पुलिस ने जामिया मिल्लिया इस्लमिया विवि के पुस्तकालय के अंदर आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल किया था।