केंद्र सरकार पर गुरूवार को लोकसभा में कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने भारतीय रेल के निजीकरण के आरोप लगाए। विपक्षी दलो का कहना है कि भाजपा सरकार में रेलवे के निजीकरण के लिए कदम उठाए जा रहे है। जो सही नहीं है इससे लाखों कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर परेशान है। वर्ष 2020-21 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस नेता एमके राघवन ने यह दावा किया कि सरकार रेल के संदर्भ में केरल के साथ सौतेली मां जैसा व्यवहार कर रही है।
राघवन ने कहा कि सरकार को रेलवे की संपत्तियों को बेचने से परहेज करना चाहिए। वही द्रमुक के एस एस पलानीमणिकम ने आरोप लगाया कि सरकार उस रेलवे का निजीकरण रही है जो भारत की पहचान है। उन्होंने कहा कि बजट से पहले सरकार को सांसदों की बैठक बुलानी चाहिए थी ताकि लोग रेलवे के संदर्भ में सुझाव देते।
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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने रेलवे स्टेशनों के पहले से साफ-सुथरे होने का उल्लेख किया और कहा कि सरकार ने भारतीय रेल में सुधार को लेकर कई कदम उठाए हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार रेलवे का निजीकरण करने जा रही है? सुप्रिया ने कहा कि अगर ऐसा है तो फिर लाखों कर्मचारियों के भविष्य के सामने संकट खड़ा हो जाएगा।
साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि मुंबई लोकल में सुधार के लिए सरकार को ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने रेलवे में लंबित भर्तियों का मुद्दा उठाया और कहा कि भर्ती नहीं करना जनविरोधी कदम है। उन्होंने कहा कि रेलवे बजट को आम बजट के साथ मिलाने का फैसला गलत था और फिर से अलग रेलवे बजट का प्रावधान किया जाए।