कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी एक विकासशील देश के लिए विकास की जरूरत को समझने वाली नेता होने के साथ पर्यावरण संरक्षण की चैम्पियन थीं और इसी का नतीजा है कि आज भारत में जैव-विविधिता की सुरक्षा के लिए कानूनी व्यवस्था मौजूद है।
वह मशहूर प्रकृतिवादी और प्रसारक सर डेविड एटनबरो को इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने के मौके पर बोल रहीं थीं। उन्होंने प्रकृति के संरक्षण को लेकर एटनबरो के योगदान की तारीफ की और पर्यावरण से संबंधित पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यों को भी याद किया।
सोनिया ने कहा, ‘‘इंदिरा गांधी खुद जीवन भर प्रकृति की प्रहरी बनी रहीं। वह एक राजनीतिक परिवार में पैदा हुईं, लेकिन खुद को प्रकृति की संतान के तौर पर देखा। वह ‘डेल्ही बर्ड वाचिंग सोसायटी’ नामक संस्था की संस्थापक सदस्यों में से एक थीं।’’ उनके मुताबिक, जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं तो वह उस वक्त पर्यावरण संरक्षण की चैम्पियन रहीं जब भारत और विदेश में पर्यावरण संरक्षण का विषय लोकप्रिय नहीं हुआ था।
उन्होंने स्टॉकहोम में जून 1972 में मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में ऐतिहासिक भाषण दिया जो वैश्विक पर्यावरण विमर्श में मील का पत्थर साबित हुआ। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘इंदिरा गांधी का विचार था कि बिना निरस्त्रीकरण के आप स्थायी शांति नहीं ला सकते और पर्यावरण का संरक्षण किए बिना विकास सतत नहीं हो सकता।
स्टॉकहोम में दिए उसी भाषण में इंदिरा गांधी ने मौसम के बदलते मिजाज की ओर ध्यान खींचा था और उस वक्त इस वास्तविकता को बड़ी मुश्किल से स्वीकार किया जाता था।’’ सोनिया ने कहा कि इंदिरा गांधी इस तथ्य को लेकर सजग थीं कि वह एक ऐसे विकासशील देश की प्रधानमंत्री हैं जिसे नौकरियों का सृजन करना है और गरीबी से भी निपटना है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘ यह हैरान करने वाली बात नहीं है कि आज के समय भारत के पास अपनी जैव-विविधता की सुरक्षा के लिए कानूनी एवं संस्थागत रूपरेखा है और इसे इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान बनाया गया था।’’ गौरतलब है कि इंदिरा गांधी स्मारक न्यास की ओर से आयोजित डिजिटल कार्यक्रम में एटनबरो को इस पुरस्कार से नवाजा गया। इस कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी शामिल हुए।