उत्तर प्रदेश, गुजरात और पंजाब जैसे अहम राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले है जिसको लेकर राजनीतिक गलियारों में हल चल तेज हो गई है गुजरात और पंजाब में मुख्यमंत्री बदलने के बाद दूसरे नेता भी अब पाला बदलने लगे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार 28 सितंबर को कांग्रेस पार्टी का दामन थामने जा रहे हैं। कांग्रेस मुख्यालय में उनके और गुजरात से विधायक जिग्नेश मेवानी को पार्टी की सदस्यता दिलाई जाएगी। एक के बाद एक चुनाव हार चुकी कांग्रेस अब खुद को बदलने की तैयारी कर रही है। पार्टी की नजर विधानसभा के साथ लोकसभा चुनाव पर भी है। चुनाव में जीत की दहलीज तक पहुंचने के लिए पार्टी जातीय समीकरणों के साथ युवाओं पर दांव लगाने जा रही। ताकि, 2024 के चुनाव में जीत हासिल की जा सके। कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवानी को पार्टी में शामिल कराना उसी का हिस्सा है।
कन्हैया कुमार का ताल्लुक बिहार के बेगुसराय से है।कन्हैया कुमार ने 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने किस्मत भी आजमाई थी। वो भाकपा के टिकट से चुनावी मैदान में उतरे थे। भाजपा के दिग्गज नेता गिरिराज सिंह ने उन्हें बड़े अंतर से हराया था। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अगर वे कांग्रेस का दामन थामते हैं तो ये उनकी राजनीतिक पारी की नई शुरुआत होगी। कहा ये भी जा रहा है कि कांग्रेस कन्हैया कुमार के सहारे बिहार में अपनी कमज़ोर होती जमीन को मजबूत करना चाहती है।
वर्ष 2017 के चुनाव में हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी की तिगड़ी ने अहम भूमिका निभाई थी। हार्दिक पटेल कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। वहीं, अल्पेश ठाकोर भाजपा में चले गए। पर जिग्नेश मेवाणी ने कभी कोई समझौता नहीं किया और वह लगातार भाजपा से लड़ते रहे हैं। गुजरात में सात फीसदी दलित हैं और उनके लिए 13 सीट आरक्षित हैं। पिछले चुनाव में अधिकतर आरक्षित सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। उस वक्त जिग्नेश मेवाणी अपनी सीट तक सीमित रहे थे और कांग्रेस ने उनके खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारा था। पर मेवाणी के कांग्रेस में आने से तस्वीर बदल सकती है।