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कांग्रेस ने कहा- जीएसटी में है बदलाव की जरूरत, जारी रखेगी संघर्ष

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कांग्रेस ने सरकार पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का ढांचा अब भी दोषपूर्ण है और इसका वर्तमान स्वरूप ‘एक देश एक टैक्स नहीं एक देश सात टैक्स’ पर आधारित है इसलिए पार्टी इसमें समग, बदलाव के लिए संघर्ष जारी रखेगी। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने यहां जारी एक बयान में कहा कि कांग्रेस की सरकार ने जो जीएसटी तैयार किया था मोदी सरकार ने उसे बदलकर करों की कई दरें निर्धारित की और अब अपनी भूल सुधारने के लिए इसमें किश्तों में बदलाव किया जा रहा है। मोदी सरकार ने जीएसटी को ‘गब्बर सिंह टैक्स’बना दिया है जिससे मोदी सरकार के चेहते चंद पूंजीपतियों को ही फायदा हो रहा है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान जीएसटी को जिस तरीके से तैयार किया गया है उसका ढ़चा गलत है और पूरी तरह से जटिल है। इस जीएसटी को जल्दबाजी में तैयार कर लागू किया गया जससे देश के छोटे व्यापारियों, लघु एवं कुटीर उद्योगों तथा असंगठित क्षेत्र को भारी नुकसान हो रहा है। किसानों को भी इसके दायरे में लाया गया है जो अब तक कभी नहीं हुआ है।

प्रवक्ता ने कहा कि मोदी सरकार का यह जीएसटी में ‘एक देश एक टैक्स नहीं बल्कि एक देश सात टैक्स’ वाला बन चुका है। कांग्रेस पहले दिन से ही इसका विरोध कर रही है और जीएसटी की अधिकतम दर 18 प्रतिशत की मांग कर रही है लेकिन मोदी सरकार ने ऐसा जीएसटी तैयार किया है जिसकी दरें दुनिया में सर्वाधिक हैं।

सुरजेवाला ने कहा कि देश के समग, विकास के लिए जीएसटी के ढांचे में किश्तों में नहीं बल्कि एक साथ पूरी तरह से परिवर्तन किए जाने की जरूरत है और उनकी पार्टी इसके लिए संघर्ष जारी रखेगी। उन्होंने कहा कि अदूरदर्शी भाजपा सरकार ने पहले जल्दबाजी में आधा अधूरा जीएसटी लागू किया और अब इसमें किश्तों में इस तरह से बदलाव कर रही है कि इसका उसे चुनावी फायदा मिलता रहे।

उन्होंने गुवाहाटी में शुक्रवार को हुई जीएसटी परिषद की बैठक में निर्णय लिए गए निर्णय को कांग्रेस की जीत बताया और कहा कि उसके दबाव में सरकार को दैनिक उपयोग की कुछ वस्तुओं पर जीएसटी 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत करने को मजबूर हुई। उन्होंने कहा कि जीएसटी का ढांचा अभी भी दोषपूर्ण है। इसमें बहुत अधिक खामियां हैं इसलिए इसमें पूरी तरह बदलाव लाने की जरूरत है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने पेट्रोलियम उत्पादों, रियल एस्टेट और बिजली को जीएसटी के दायरे में नहीं लाए जाने पर सवाल उठाए और कहा कि यदि सरकार इन्हें जीएसटी के दायरे में नहीं लाती है तो 50 प्रतिशत राजस्व इस कर ढांचे के दायरे से बाहर रहता है। उनका कहना था कि पेट्रोल और डीत्रल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखकर मोदी सरकार हर साल अपने खजाने में 2,67,000 करोड़ रुपए भर रही है।

जीएसटी के मौजूदा स्वरूप के अनुपालन को लगभग असंभव करार देते हुए उन्होंने कहा कि जीएसटी फॉर्म भरने की जटिल तथा असंभव प्रक्रिया से व्यापारी, कारोबारी और लघु एवं कुटीर उद्योगों का कामकाज ठप हो गया है। जीएसटीएन यानि जीएसटी नेटवर्क लगभग हर रोज फेल हो रहा है जिसके कारण न तो रिटर्न फाईल हो पा रहा है और न ही व्यापारियों के बिल जीएसटी नेटवर्क पर अपलोड हो रहे हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कृषि क्षेत्र को जीएसटी के दायरे में लाने की आलोचना करते हुए कहा कि किसानों पर पहली बार कर लगाया है। ट्रैक्टर एवं अन्य सभी कृषि उपकरणों पर 12 प्रतिशत का जीएसटी टैक्स है जबकि कीटनाशक दवाईयों पर 18 प्रतिशत, खाद पर पांच प्रतिशत तथा कोल्ड स्टोरेज पर 18 प्रतिशत का जीएसटी लागू है। इस बीच पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने गुवाहाटी में जीएसटी परिषद में कल लिए गए निर्णयों पर चुटकी लेते हुए कहा कि सरकार को जीएसटी के इस दोष को समझने में चार माह दस दिन का समय लगा है।

परिषद में 178 वस्तुओं की जीएसटी दर घटाने के फैसले पर उन्होने ट्वीट किया ‘ जीएसटी की सीमा 18 प्रतिशत होनी चाहिए इस संबंध में कांग्रेस तथा मेरी बात सही साबित हुई है।’ पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि कांग्रेस शुरू से ही मांग करती रही है कि जीएसटी की अधिकतम दर 18 प्रतिशत होनी चाहिए लेकिन इस सरकार की समझ में हमारी यह बात बहुत देर में आयी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जीएसटी और अधिक सुधारों के लिए संघर्ष जारी रखेगी।

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