नयी दिल्ली : कांग्रेस ने आज कहा कि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के मुद्दे पर विपक्षी दलों के पास ‘‘ सभी विकल्प खुले ’’ हैं। कांग्रेस प्रवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायपालिका की आजादी पर भी चिंता प्रकट की और मामले को ‘‘ बहुत गंभीर ’’ बताया । प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के विपक्ष के प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने संवाददाताओं से कहा , ‘‘ हमारा मानना है कि हमारे पास अभी भी विकल्प खुले हैं। विपक्षी दलों के पास सारे विकल्प खुले हैं ।’’ मुद्दे पर विपक्ष दुविधा में क्यों है , यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह बहुत गंभीर विषय है और इस पर विचार – विमर्श की जरूरत है । पूर्व विधि मंत्री सिब्बल ने कहा कि अगर विपक्ष ऐसा कदम उठाता है तो यह ‘‘ बहुत दुखद ’’ दिन होगा। उन्होंने कहा , ‘‘ और अगर विपक्ष ऐसा करता है तो यह बहुत ही भारी मन से किया जाएगा। लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि विपक्ष ने मामले को बंद कर दिया है। ’’
कांग्रेस नेता ने कहा कि विपक्ष दूसरों की तरह न्यायपालिका की आजादी के लिए चिंतित है। उन्होंने कहा , ‘‘ हम सरकार के किसी भी प्रकार के दखल से संस्था की हिफाजत करना चाहते हैं। ’’ उन्होंने कहा , ‘‘ अदालत में जो हो रहा है , हम उस पर बहुत चिंतित हैं … हम न्यायपालिका की आजादी चाहते हैं। ’’ हालांकि , सिब्बल ने कहा कि यह अदालत पर है कि वह एकजुट होकर अपनी स्वतंत्रता की रक्षा करे। उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम द्वारा सिफारिश के तहत न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी पर चिंता प्रकट करते हुए सिब्बल ने कहा कि न्यायपालिका में नियुक्ति की प्रक्रिया में किसी को भी दखल की अनुमति नहीं होनी चाहिए , ना ही यह मायने रखता है कि कौन सी पार्टी सत्ता में है। उन्होंने कहा , ‘‘ सिफारिशों को रोकने का कोई भी प्रयास होता है तो देश के प्रधान न्यायाधीश और वरिष्ठतम न्यायाधीशों को प्रतिरोध ही नहीं बल्कि यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी सिफारिश लागू हों। ’’
कांग्रेस नेता ने कहा , ‘‘ अगर ऐसा कदम नहीं उठाया गया तो यह कार्यपालिका के सामने समर्पण होगा , जो कि बहुत बहुत गंभीर मामला है। हम देश के प्रधान न्यायाधीश और समूची अदालत से एकसाथ खड़ा होने और सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं कि कानून की प्रक्रिया का इस्तेमाल कर क्रियान्वयन हो जिसपर वे हमसे ज्यादा वाकिफ हैं। ’’ सिब्बल ने कहा कि उनकी पार्टी इस तथ्य पर भी चिंतित है कि चार विशिष्ट न्यायाधीशों द्वारा उठाए गए मुद्दों का अब तक पूरी तरह निराकरण नहीं हुआ है ।
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