कांग्रेस की ओर से तैयार कराए गए विज्ञापन ‘चौकीदार चोर है’ के प्रसारण पर निर्वाचन आयोग की ओर से प्रतिबंध लगाने के विरोध में आज कांग्रेस ने एक विधिवत पत्र में अपने तर्क रखते हुए आयोग से इस निर्णय पर पुनर्विचार का अनुरोध किया।
प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं संगठन प्रभारी चंद्रप्रभाष शेखर, मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा और प्रदेश प्रवक्ता जे पी धनोपिया के दस्तखत के साथ सौंपे गए इस पत्र में कांग्रेस की ओर से विज्ञापन के पक्ष में तर्क रखे गए हैं। इसमें कहा गया है कि आयोग की राज्य स्तरीय मीडिया प्रमाणन तथा अनुवीक्षण समिति ने 17 अप्रैल को अपने आदेश में भाजपा के आधारहीन तथ्यों को सुनकर कांग्रेस के विज्ञापन के प्रसारण पर रोक लगा दी है।
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पत्र में भाजपा की ओर से समिति के समक्ष पेश किए गए चार प्रमुख बिंदुओं का जिक्र करते हुए उनका सिलसिलेवार जवाब दिया गया है। इसमें कहा गया है कि भाजपा को आपत्ति है कि विज्ञापन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए अशिष्ट अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया है।
कांग्रेस ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि इस विज्ञापन में श्री मोदी तो क्या, किसी भी व्यक्ति के नाम का उल्लेख नहीं है। और चौकीदार का जो तात्पर्य भाजपा ने नरेन्द्र मोदी के संदर्भ में समझा है, वह भाजपा की अपनी कल्पना है, उसका अपना विश्वास है।
पत्र में कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि बिना किसी ठोस कारण के कांग्रेस पार्टी द्वारा इन विज्ञापनों को निर्वाचन आयोग द्वारा प्रतिबंधित करना न्याय संगत नहीं है। पार्टी ने निर्वाचन आयोग के संज्ञान में लाकर उसकी अनुमति के बाद ही विज्ञापनों को जारी किया था। इसके बाद भी भाजपा के निराधार आरोपों को मानकर आयोग ने विज्ञापन को प्रतिबंधित कर दिया। कांग्रेस ने यह प्रतिबंध हटाने की मांग करते हुए कहा कि निष्पक्ष चुनाव की गरिमा कायम रखने के लिए यह आवश्यक है।