कांग्रेस ने लोकसभा में सोमवार को अर्थव्यवस्था में गिरावट, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा उठाते हुए सरकार से इस दिशा में तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अनुदान की अनुपूरक मांगों 2022-23 पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कहा कि नोटबंदी के बाद से अर्थव्यवस्था की गति धीमी हो गयी थी और कोरोना महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था की गति और धीमी हो गयी, लेकिन सरकार ने अपने बजट प्रावधानों में विभिन्न क्षेत्रों के लिए कम धनराशि का आवंटन किया।
वैश्विक प्रभाव के कारण देश में उरर्वक की कीमतों में बढोतरी
उन्होंने कहा कि वह बजट के दौरान भविष्यवाणी की थी कि सरकार ने उरर्वक के लिए जो धनराशि आवंटित की है वह बहुत कम है। यही वजह है कि मूल बजट में उर्वरक के लिए जो राशि आवंटित की गयी थी उससे अधिक धनराशि की मांग अनुपूरक मांगों में की गयी है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने उर्वरक के क्षेत्र आत्मनिर्भर होने की बात की थी, लेकिन इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया जिसके कारण वैश्विक प्रभाव के कारण देश में उरर्वक की कीमतों में बढोतरी हुई है। सरकार ने देश के छह उरर्वक कारखानों को पुनर्जीवित करने लक्ष्य रखा था लेकिन कुछ नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि सरकार की दक्षता की वजह से लगातार समस्याएं उत्तपन्न हो रही है।
मनरेगा के माध्यम से राहत दी जाती तो स्थितियां बदल सकती है
उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों के आय को बढाने का लक्ष्य निर्धारित किया था लेकिन किसानों के आय में कमी आई है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में इस वर्ष 67 प्रतिशत की गिरावट आई है। श्री थरूर ने कहा कि उन्हें यह कहते हुए खेद हो रहा है कि पिछले केंद्रीय बजट पर चर्चा के दौरान कहा था कि कोरोना बाद उत्पन्न स्थिति को देखते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत थी, लेकिन मनरेगा के बजट में कमी कर दी गयी। मनरेगा के बजट को बढ़ने की विशेषज्ञों ने भी राय दी थी। मनरेगा के माध्यम से राहत दी जाती तो स्थितियां बदल सकती है।
उन्होंने कहा कि तीन करोड़ लोगों की नौकरियां चली गयी और मुद्रास्फीति अधिक हो गयी है। ऐसे समय में मनरेगा की उपेक्षा की गयी है। मनरेगा में नौ करोड़ लोगों ने जॉब कार्ड की मांग की है। सरकार को महंगाई को काबू करने के साथ-साथ बेरोजगारी को दूर करने की दिशा में तत्काल कदम उठाने के लिए हस्तक्षेप करने की जरूरत है।