विधानसभा चुनाव में हारने के बाद से कांग्रेस की जी-23 बैठक औपचारिक तौर से कई दिनो से चल रही थी जिसमें यह फैसला लिया गया था कि चुनाव में हारने की वजह क्या थी। वहीं, कुछ नेताओं को कांग्रे से इस्तीफा भी देना पड़ा था । हालांकि, जी-23 की बैठक गुलाम नवी आजाद के घर में ही आयोजित की गई थी। दरअसल, गुलाम नबी आजाद से मुलाकात के कुछ दिनों बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं आनंद शर्मा और मनीष तिवारी से मुलाकात कर असंतुष्ट जी-23 समूह के प्रस्ताव पर चर्चा की।
आजाद ने 18 मार्च को पार्टी प्रमुख से मुलाकात की थी
सोनिया गांधी एकजुट चेहरा रखने के अपने प्रयास में पार्टी के उन असंतुष्टों तक पहुंच रही हैं, जो व्यापक सुधारों की मांग कर रहे हैं।आजाद ने 18 मार्च को पार्टी प्रमुख से मुलाकात की थी और कहा था कि अध्यक्ष पद के लिए फिलहाल कोई जगह नहीं है और किसी ने उन्हें पद छोड़ने के लिए नहीं कहा है।
सोनिया गांधी को अध्यक्ष बना रहना चाहिए
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नेतृत्व परिवर्तन पर पार्टी के वरिष्ठ नेता और साथी जी -23 नेता कपिल सिब्बल के विचारों से खुद को दूर करते हुए, आजाद ने बताया था कि सोनिया गांधी के प्रस्ताव को सभी समूहों ने अस्वीकार कर दिया है, जिसमें वह शामिल थे और हम चाहते थे कि वह अध्यक्ष बनीं रहे।
कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई एक संघर्ष विराम की ओर बढ़ रही
जानकारी के मुताबिक, उनकी टिप्पणी से संकेत मिलता है कि कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई एक संघर्ष विराम की ओर बढ़ रही है, क्योंकि गांधी पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के साथ असंतुष्टों तक लगातार पहुंच रहे हैं, जिनके हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ अच्छे समीकरण नहीं रहे हैं, 17 मार्च को उनसे मुलाकात कर उनकी समस्याओं को सुना।