विपक्ष ने कैंद पर तंज कसते हुए कहा है कि सरकार अपने फायदे के लिए सिर्फ निजीकरण पर ध्यान दे रही हैं। और उड़न जैसी योजना बनाकर उसके लिए आवंटन नहीं बढ़ती है और एअर इंडिया जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी का निजीकरण कर सबकुछ बेचने पर तुली हुई है।
लोकसभा में कांग्रेस के रवनीत सिंह बिट्टू ने उड़न योजना के तहत ‘‘बजट 2022-23 के लिए नागर विमानन मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदान की मांगों पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए उन्होंने कहा कि पायलटों से बहुत काम कराया जाता है। उन्होंने कहा कि फरवरी 2022 तक 40 रूट शुरु होने की बात की थी लेकिन 31 पर ही संचालन किया जा रहा है। उड़न योजना का मकसद गरीबों को फायदा पहुंचाना था लेकिन इसके लिए ढांचागत विकास पर ध्यान नहीं दिया गया। योजना के तहत जो गतिविधियां संचालित करने की योजना था उसके लिए महज 101 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया जो जरूरत से बहुत कम है।
उन्होंने कहा कि महानिदेशक नागर विमान-डीजीसीए मनमानी करता है और अपने नियम जबरन पायलटों पर थोपता है। पायलटों को दिन रात काम करने के लिए कहा जाता है लेकिन डीजीसीए की तरफ से उनकी सुविधा के लिए कोई व्यवस्था नहीं की जाती है। पायलट की नाइट ड्यूटी का मसला बहुत दिक्कत भरा है। उनकी नाइट ड्यूटी पर ध्यान नहीं दिया जाता है। डीजीसीए उनकी बात सुनने को तैयार ही नहीं है। पायलट के हाथ में सैकड़ लोगों की जान होती है लेकिन डीजीसीए को इसकी चिंता नहीं है।
श्री बिट्टू ने कहा कि यदि पायलट को नौकरी छोड़नी है तो उसे छह महीने पहले नोटिस देना पड़ता है लेकिन यदि कंपनी को उसे हटाना है तो उसे एक झटके में हटा लिया जाता है। उनका कहना था कि आखिर क्यों डीजीसीए के नियम इन कंपनियों पर चलते हैं। हवाई अड्डों पर काम करने वाले टेक्नीशियन 20-20 हजार रुपए में काम कर रहे हैं। इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।
तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने कहा कि सरकार की विफलता के कारण एअर इंडिया का निजीकरण किया गया है। उन्होंने कहा कि इस कंपनी का निजीकरण किस कारण से किया गया इसको लेकर सरकार ने कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है। उनका कहना था कि विमानन क्षेत्र के लिए सरकार ने आवंटन कम किया है और इस तरह से 31 प्रतिशत आवंटन कम किया जा चुका है। उनका कहना था कि उड़न योजना सरकार की महत्वकांक्षी योजना है लेकिन इसके लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था नहीं की गई है।
उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देशों में सरकार एअरलाइंस चला रही है लेकिन भारत में सरकार इससे हाथ निकाल रही है और उसने निजी क्षेत्र को इस कंपनी को बेच दिया है। उन्होंने कहा कि उड़न योजना को क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के लिए अब पर्याप्त आवंटन नहीं दिया जा रहा है। जनवरी तक सिफ 441 रूट पर हवाई सेवा का संचालन हो रहा है जो सिर्फ 41 प्रतिशत के बराबर है।