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कांग्रेस का केंद्र पर तंज, कहा- एनएमपी और नोटबंदी सरकार की ‘जुड़वां संतानें’, जिनका मकसद जनता को लूटना है

कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) कार्यक्रम को लेकर शुक्रवार को नरेंद्र मोदी नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि एनएमपी और नोटबंदी सरकार की ‘जुड़वां संतानें’ हैं, जिनका मकसद देश के लोगों को लूटना है।

माकन ने शुक्रवार को रायपुर स्थित प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्यालय 'राजीव भवन' में संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, ‘‘विकास के नाम पर मोदी नेतृत्व वाली सरकार ने जुड़वां संतानों को जन्म दिया है। इनमें से एक नोटबंदी है और दूसरा मुद्रीकरण है। दोनों का स्वभाव एक है।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘नोटबंदी ने गरीबों और छोटे कारोबारियों को लूटा, जबकि अब देश की विरासत को मुद्रीकरण के जरिये लूटा जा रहा है। दोनों कदमों का मकसद पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाना था। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि एनएमपी को लेकर गोपनीय ढंग से फैसला हुआ और अचानक से घोषित कर दिया गया।’’

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि केंद्र सरकार जनता की कमाई से पिछले 60 साल में बनाए गए सार्वजनिक उपक्रमों को किराए के भाव पर बेचने पर आमादा है। उन्होंने कहा कि सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह सभी कुछ 'गुपचुप तरीके से' तय किया गया।

इसके बाद इस निर्णय की घोषणा भी अचानक की गई जिससे सरकार की नीयत पर शक गहरा रहा है। माकन ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर जो भी भाषण दिए हैं उसमें मुख्य रूप से ढांचागत आधार पर ही बल दिया गया है।

लेकिन, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार तुलना की जाए तो एनडीए सरकार का रिकॉर्ड खराब है। उन्होंने कहा, ‘‘2012 से वर्ष 2017 के बीच 12वीं पंचवर्षीय योजना काल में औसतन 7.20 लाख करोड़ सालाना ढांचागत आधार पर निवेश किया जा रहा था।

यह एनडीए शासन काल में पांच लाख करोड़ रुपए पर आ गया है। इससे उस आशंका को बल मिलता है कि सरकार का मुख्य मुद्दा ढांचागत आधार को बेहतर करना नहीं है। इसका मुख्य उद्देश्य कुछ चुनिंदा उद्योगपति दोस्तों को उनके कारोबार और व्यापार में एकाधिकार का अवसर प्रदान करना है।’’ 

माकन ने कहा कि यूपीए कार्यकाल में यह निर्णय लिया गया था कि रणनीतिक परिसंपत्तियों का निजीकरण नहीं किया जाएगा। रेलवे लाइन, गैस पाइपलाइन को लेकर विशेष सतर्कता रखी जाती थी। जिससे वह निजी हाथों में जाने से बची रहे।

किसी भी तरीके से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसी विदेशी शक्ति के हाथों में यह रणनीतिक परिसंपत्तियां न जाने पाए। उन्होंने कहा कि युद्ध के समय सेना के आवागमन के लिए रेलवे और राष्ट्रीय एयरलाइन का अपना महत्त्व हमेशा से रहा है। ऐसे में क्या यह सही नहीं है कि सरकार ने हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को भी पंगु बनाने का निर्णय किया है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आशंका जतायी कि केंद्र सरकार की योजना से बाजार में चुनिंदा कंपनियों की मनमर्जी कायम हो जाएगी। सरकार भले कहती रहेगी की निगरानी के सौ तरह के उपाय हैं। माकन ने कहा कि मुद्रीकरण योजना शुरू करने से पहले केंद्र को राज्य सरकारों को विश्वास में लेना चाहिए था।

उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्य सरकारों ने सार्वजनिक उपक्रम स्थापित करने के लिए रियायती दरों पर जमीन दी थी। भूमि राज्य का विषय है। ऐसे में केंद्र को राज्य सरकारों को विश्वास में लेना चाहिए था। लेकिन ऐसा लगता है कि उनका इरादा सही नहीं है। संवाददाता सम्मेलन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस के छत्तीसगढ़ सह प्रभारी चंदन यादव भी मौजूद थे।