गुलाम नबी आज़ाद द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करने वाले भाषण से कांग्रेस में घमासान छिड़ गया है। वहीं पश्चिम बंगाल में मुस्लिम धर्मगुरु अब्बास सिद्दीकी के नेतृत्व वाले इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के साथ पार्टी के गठजोड़ पर आनंद शर्मा ने सवाल उठाए तो अधीर रंजन चौधरी ने पलटवार किया।
अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार को सिलसिलेवार किए ट्वीट में आनंद शर्मा को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ‘नो योर फैक्ट्स, आनंद शर्मा। ‘वे कांग्रेस के चुनिंदा असंतुष्टों के समूह से आग्रह करेंगे कि अपने कम्फर्ट स्पॉट से बाहर निकलें और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करना बंद करें।’
उन्होंने कहा कि सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाला वाम मोर्चा पश्चिम बंगाल में धर्मनिरपेक्ष गठबंधन का नेतृत्व कर रहा है जिसमें कांग्रेस एक अभिन्न अंग है। हम बीजेपी की सांप्रदायिक और विभाजनकारी राजनीति और एक निरंकुश शासन को हराने के लिए दृढ़ हैं।उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा, जो लोग बीजेपी दलों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं, वे सांप्रदायिकता के खिलाफ कांग्रेस और पांच राज्यों में पार्टी का प्रचार करने के बजाय बीजेपी के एजेंडे के अनुरूप टिप्पणी करके पार्टी को कमजोर करने का प्रयास करना चाहिए।
ISF के साथ गठजोड़ पार्टी की मूल विचारधारा के खिलाफ : आनन्द शर्मा
आईएसएफ के साथ पार्टी के गठजोड़ की आलोचना करते हुए आनंद शर्मा ने सोमवार को कहा कि यह पार्टी की मूल विचारधारा तथा गांधीवादी और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। हालांकि प्रदेश कांग्रेस प्रभारी जितिन प्रसाद ने कहा कि गठबंधन के फैसले पार्टी के हितों को ध्यान में रख कर लिए जाते हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा पार्टी के उन 23 नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में संगठनात्मक बदलाव की मांग की थी। आनंद शर्मा ने कहा कि आईएसएफ जैसी कट्टरपंथी पार्टी के साथ ‘‘गठबंधन’’ के मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए थी और उसे कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) द्वारा अनुमोदित होना चाहिए था।