सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि आधार कार्ड से जुड़े सभी मुद्दों पर उसकी संवैधानिक पीठ को फैसला करना चाहिए। जस्टिस जे. चेलमेश्वर की अगुवाई वाली 3 सदस्यीय पीठ ने पक्षों से बताया कि वे चीफ जस्टिस से आधार से जुड़े मुद्दों पर फैसला करने के लिए संवैधानिक पीठ का गठन करने का आग्रह करें।
पीठ में जस्टिस ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा भी शामिल हैं। पीठ ने बताया , हम आप दोनों (याचिकाकर्ताओं और केंद्र) को चीफ जस्टिस से एक वृहद पीठ का गठन करने का आग्रह करने का सुझाव देंगे ताकि इन मामलों पर आखिरकार निर्णय लिया जा सके।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल और वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने का कहना है कि वे चीफ जस्टिस के समक्ष मामले को रखेंगे और उनसे आधार कार्ड से जुड़े मामलों की सुनवाई करने के लिए एक संवैधानिक पीठ का गठन करने के लिए मांग करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन पीठ ने 27 जून को केंद्र की उस अधिसूचना के खिलाफ अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया था जिसमें सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य बनाया गया है। साथ ही सरकार ने आश्वस्त किया था कि कोई भी व्यक्ति आधार कार्ड से वंचित नहीं रहेगा।
कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ताओं द्वारा जताई गई केवल इस आशंकापर अंतरिम आदेश नहीं दिया जा सकता कि कोई व्यक्ति आधार कार्ड न होने पर विभिन्न समाज कल्याण योजनाओं के लाभों से वंचित हो सकता है, खासतौर से तब जब इससे प्रभावित कोई भी व्यक्ति उसके पास न आया हो।
सुप्रीम कोर्ट तीन अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था जिसमें विभिन्न समाज कल्याण योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार को अनिवार्य बनाने वाली सरकार की अधिसूचना को चुनौती दी गई है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कई आदेश पारित कर सरकार और उसकी एजेंसियों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य न बनाने के लिए कहा था।
फिलहाल, शीर्ष न्यायालय ने केंद्र को LPG सब्सिडी, जन धन योजना और सार्वजनिक वितरण प्रणाली जैसी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए नागरिकों से स्वैच्छिक रूप से आधार कार्ड मांगने की मंजूरी दे दी थी।