रायपुर : बिजली के मामले में सरप्लस माने जाने वाले छत्तीसगढ़ राज्य में आम उपभोक्ताओं को देश भर में सबसे बेहतर दरों पर बिजली मुहैया कराई जा रही है। वहीं अपनी जरूरतों की पूर्ति के साथ प्रदेश अब अन्य राज्यों को भी बिजली बेच रहा है। मुख्यमंत्री रमन सिंह ने दावा किया कि राज्य में विद्युत दरों का संचालन और नियमन राज्य विद्युत नियामक आयोग ही करता है।
वहीं कंपीटिटिव बीडिंग में बेहतर दर मिलने की स्थिति में अधिकतम दर प्राप्त होने पर ही बिजली की खरीदी बिक्री की जाती है। दरअसल, बिजली खरीदी के बाद ट्रांसमिशन लाईन लगाने और कर्मचारियों के वेतन, कर्ज के ब्याज समेत गैर टेरिफ औा पूर्व के वर्षों के ईंधन प्रभार को मिलाकर नेटवर्क पर ले जाने में खर्च जुड़ते हुए औसत पूर्ति दर ही ली जा रही है।
सरकार का दावा है कि खरीदी बिक्री में अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर दर मिलने की वजह से ही लांग टर्म एग्रीमेंट किया गया है। यह राज्य के लिए बड़ी सफलता है। इधर सरकार ने जरूर प्रदेश के बीपीएल वर्ग को रियायती बिजली देने के लिए योजना बनाई है। कृषि के क्षेत्र में भी बिजली में छूट देकर राहत देने की कोशिशें की है। राज्य में विद्युत दरों को लेकर लगातार महंगी बिजली देने सरकार पर आरोप लगते रहे हैं।
कृषि सेक्टर में पंप के लिए अनुसूचित जाति और जनजाति के अलावा सब्सिडी भी दी जाती है। प्रदेश में इन वर्गों को मुफ्त बिजली के साथ सरकार की ओर से करीब ढाई हजार रूपए की सब्सिडी दी जा रही है। वहीं एवरेज कास्ट से 20 फीसदी निचली दरों पर भी दिया जाता रहा है। इस वजह से ही राज्य के करीब 19 लाख बीपीएल परिवारों को सबसे कम कीमत पर और सब्सिडाईज दर पर बिजली देने की व्यवस्था की गई है।
सरकार का दावा है कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ बेहतर स्थिति में है। राज्य में बिजली की दरों के साथ इसका स्पष्ट मेकेनिज्म बना हुआ है। इसकी वजह से ही बिजली की दरें नियंत्रित की जाती है।
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