लालू प्रसाद के दो निजी सहायकों को उनकी सेवा करने के लिये रांची की जेल में भेजे जाने के बारे में मीडिया में खबर आने के बाद विवाद पैदा हो गया है। इन सहायकों को चारा घोटाला के एक मामले में राजद प्रमुख को दोषी ठहराए जाने के बाद वहां जेल में भेजे जाने से कुछ घंटे पहले वहां भेजा गया था। इसको लेकर जद (यू) ने आलोचना की है। राजद ने हालांकि अपने नेता का बचाव किया है। उसने कहा कि लक्ष्मण महतो और मदन यादव की वहां संयोगवश मौजूदगी थी। महतो और यादव पर छोटे अपराध का आरोप है। महतो और यादव के बारे में दावा किया गया है कि वे हेल्पर और रसोइये के रूप में लालू की सेवा कर रहे थे।
बिरसा मुंडा जेल के अधीक्षक से फिलहाल टिप्पणी के लिये संपर्क नहीं हो सका है। अन्य अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। लालू चारा घोटाला के एक मामले में गत 23 दिसंबर को दोषी ठहराये जाने के बाद से बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं। बिहार में सथारूढ़ जद (यू) ने यह खबर आने के बाद राजद नेता पर हमला बोल दिया है। जद (यू) प्रवक्ता नीरज कुमार ने पटना में एक वक्तव्य जारी करके कहा, प्रसाद सामंती सोच वाले व्यक्ति हैं जो अपने निजी हितों की पूर्ति के लिये अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को किसी भी हद तक जाने को कह सकते हैं। जद (यू) के विधान पार्षद कुमार ने कहा, यह दर्शाता है कि सामाजिक न्याय के प्रति लालू प्रसाद की प्रतिबद्धता एक छलावा है और वह सिर्फ अपना और अपने परिवार के सदस्यों का खयाल रखते हैं।
राजद प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने इन आरोपों को खारिज कर दिया कि लालू ने अपनी सेवा कराने के लिये अपने दो सहायकों को सलाखों के पीछे भिजवा दिया। उन्होंने कहा कि जेल में उनकी मौजूदगी महज संयोग थी और दोनों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं। हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि किस तरह के अपराध के लिये वे जेल में हैं। राजद विधायक यादव ने कहा कि जो लोग यह दावा कर रहे हैं कि महतो और यादव जेल में लालू की सेवा कर रहे थे, वे अपने दावे के समर्थन में सबूतों के साथ आएं। उन्होंने कहा, उन्हें (आरोप लगाने वालों को) राजद प्रमुख की सेवा कर रहे दो लोगों का कोई वीडियो फुटेज दिखाना चाहिये। यह पूछे जाने पर कि क्या वे चाहेंगे कि मामले में जांच हो तो यादव ने पलटकर कहा, क्यों। उन्हें आखिरकार पुलिस प्रशासन ने जांच के बाद जेल भेजा है और इसपर कुछ भी कहना है तो प्रशासन को कहना है।
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