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सहकारिता बैंकों को केवल बैंकों के तौर पर काम नहीं करना चाहिए, छोटे किसानों को मिलेगी मदद…………, बोले अमित शाह

शाह ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय ने सहकारी क्षेत्र का डेटाबेस बनाने का काम शुरू कर दिया है।

गृह मंत्री अमित शाह ने औपचारिक तौर से कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों को स्पष्ट करते हुए कहा कि इन सहकारिकता बैंकों को कुछ हद तक सीमित करके न रखें बल्कि इसको ज्यादा से ज्यादा खेती के विस्तार, उपज बढ़ाने पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कृषि को सुगम व किसानों को समृद्ध बनाने के लिए गांव-गांव में किसानों से संवाद कर उन्हें जागरूक बनाना भी एआरडीबी की ही जिम्मेदारी है।
छोटे किसानों को लेकर बोले शाह
शाह ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय ने सहकारी क्षेत्र का डेटाबेस बनाने का काम शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र का कोई भी एकीकृत डेटाबेस नहीं है और डेटाबेस नहीं होने पर क्षेत्र के विस्तार के बारे में नहीं सोचा जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘विस्तार तभी हो सकता है जब आप जानते हो कि विस्तार कहां करना है।’’
सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारी बैंकों को देश में सिंचिंत भूमि को बढ़ाने के उद्देश्य से कर्ज प्रदान करने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘एआरडीबी सिंचाई परियोजनाओं और अन्य अवसंरचनाओं समेत कृषि क्षेत्र को लंबी अवधि के और कर्ज देने पर ध्यान दें।’’
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शाह ने कहा कि छोटे किसानों के समक्ष आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए सहकारी बैंकों को इस बारे में सोचना चाहिए कि सहकारिता की भावना के साथ इस तरह के छोटे खेतों में किस तरह काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत में 49.4 करोड़ एकड़ कृषि भूमि है, जो अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा है। यदि पूरी कृषि भूमि को सिंचित किया जाए तो भारत पूरी दुनिया का पेट भर सकता है।
 सहकारिता बैंकों को केवल बैंकों के तौर पर काम नहीं करना चाहिए- शाह 
एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, ‘‘यदि आप पीछे मुड़कर देखेंगे और सहकारिता संस्थानों के जरिए दीर्घकालिक ऋण की पिछले 90 वर्ष की यात्रा पर गौर करेंगे कि यह कैसे कम हुआ है तो आंकड़ों को देखने पर पाएंगे कि यह बढ़ा ही नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक ऋण में कई बाधाएं हैं और अब समय आ गया है कि सहकारिता की भावना के साथ इन अवरोधकों से पार पाया जाए। शाह ने कहा कि सहकारिता बैंकों को केवल बैंकों के तौर पर काम नहीं करना चाहिए बल्कि सिंचाई जैसी कृषि अवसंरचना की स्थापना जैसी अन्य सहकारी गतिविधियों पर भी ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने बताया कि सहकारिता मंत्रालय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को बहुआयामी बनाने की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने इसके लिए आदर्श उप-नियम बनाकर प्रदेशों में चर्चा के लिए भेजे है। सहकारिता के तत्व को बढ़ाते हुए हम 70-80 साल पुराने कानूनों को बदलकर पैक्स में नई-नई गतिविधियां जोड़ने काम कर रहे है।’’
शाह ने कहा कि यह किसान कल्याण के प्रति मोदी सरकार की निष्ठा को दर्शाता है
शाह ने कहा, ‘‘अनेक बैंकों ने नए-नए सुधार किए मगर वे सुधार बैंकों तक ही सीमित रह गए और उनका लाभ पूरे क्षेत्र को नहीं मिला। बैंक केंद्रित सुधार इस क्षेत्र को नहीं बदल सकते। अगर क्षेत्र में सुधार आएंगे तो सहकारिता अपने आप मजबूत हो जाएगी।’’ उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से 70 साल में 64 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य बनी, लेकिन प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 8 साल में 64 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में वृद्धि हुई और कृषि का निर्यात पहली बार 50 अरब डॉलर को पार कर गया है। शाह ने कहा कि यह किसान कल्याण के प्रति मोदी सरकार की निष्ठा को दर्शाता है।

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