पटना : बदलती जीवनशैली में जंकफूड के तरफ बढ़ते आकर्षण और समय के अभाव में व्यायाम को तरजीह नहीं देने जैसी प्रवृत्ति से लोगों में बढ़ रहे घुटने के दर्द की समस्या ने हड्डी रोग विशेषज्ञों के सामने चुनौती खड़ी कर दी है। ऐसे में घुटनों के बेहतर इलाज के लिए ऑर्थोपैडिक और रेडियोलॉजिस्ट के बेहतर संवाद और समन्वय का होना बेहद जरूरी है।
बिहार ऑर्थोपैडिक एसोसिएशन (बीओए) की ओर से आज यहां ‘घुटने की रेडियोलॉजी’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में हड्डी रोग के विभागाध्यक्ष डॉ. वी़ क़े सिन्हा ने बताया कि कार्यशाला में रेडियोलॉजिस्ट और हड्डी रोग विशेषज्ञों ने नई तकनीक की जानकारी साझा की।
उन्होंने कहा कि हड्डी रोग के शल्य चिकित्सकों और रेडियोलॉजिस्टों के बीच संवाद और समन्वय बेहद जरूरी है ताकि दोनों मरीज की तकलीफ के संबंध में सटीक जानकारी लेकर एक दूसरे की अपेक्षाओं को पूरा कर सकें।
वहीं, बीओए के सचिव एवं पीएमसीएच के ऑर्थोपैडिक विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. राजीव आनंद ने कहा कि कई मामलों में चिकित्सक मरीज के एक्स रे, मैगनेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई), कम्प्यूटेड टैमोग्राफी (सीटी) स्कैन और अल्ट्रा साउंड के प्लेट को नहीं बल्कि रिपोर्ट को देखकर मरीज का इलाज करते हैं। रिपोर्ट और वास्तविक स्थिति में कई बार थोड़ा-बहुत अंतर रहता है जिससे कठिनाई उत्पन्न होती है।
– (वार्ता)