कोरोना महामारी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 23 जून को होने वाली ऐतिहासिक वार्षिक जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा पर रोक लगा दी है। वहीं विश्व हिंदू परिषद् (विहिप) का मानना है कि पुरी में सदियों से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकालने की चल रही परंपरा कोरोना महामारी के कारण टूटनी नहीं चाहिए।
विहिप ने कहा कि सभी नियमों व स्वास्थ्य संबंधी उपायों के साथ यात्रा निकाली जा सकती है। संगठन चाहता है कि सुप्रीम कोर्ट रथयात्रा पर रोक लगाने के अपने फैसले पर फिर से विचार करे। विहिप के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने रविवार को कहा, “गत सैकड़ों वर्षो से अनवरत रूप से पुरी में निकाली जाने वाली भगवान श्रीजगन्नाथ की परंपरागत रथयात्रा इस वर्ष भी निकाली जानी चाहिए।
विहिप के महामंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के संकट काल में भी, जन-स्वास्थ्य की रक्षा करते हुए, प्राचीन परंपरा की अखंडता सुनिश्चति करने के लिए उचित मार्ग निकालना राज्य सरकार का दायित्व है। राज्य सरकार अपने इस दायित्व के पालन में पूरी तरह विफल रही है। कोविड महामारी के संकट काल में भी सभी नियमों तथा जन स्वास्थ्य संबंधी उपायों के साथ यात्रा निकाली जा सकती है।” उन्होंने कहा कि परंपरा की अखंडता सुनिश्चति करने के लिए कोई मार्ग अवश्य ढूंढा जाना चाहिए। आज की परिस्थतियों में यह अपेक्षा कदापि नहीं है कि यात्रा में हमेशा की तरह 10 लाख भक्त एकत्रति हों।
असल में, ओडिशा सरकार माननीय सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इस संबंध में सभी पहलू ठीक से नहीं रख पाई। परांडे ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस संबंध में निर्णय लेने से पहले सभी संबंधित पक्षों को सुनना चाहिए था। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने गैर-सरकारी संगठन ओडिशा विकास परिषद की याचिका पर सुनवाई करते हुए 23 जून को होने वाली रथयात्रा पर रोक का आदेश जारी किया है।