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Corona Pandemic: भारत में कोविड की चौथी लहर आने की आशंका कम, विशषज्ञों ने जताया भरोसा…

उच्च टीकाकरण कवरेज और संक्रमण के बाद बनी प्रतिरोधक क्षमता को देखते हुए देश में भविष्य में किसी भी लहर का गंभीर प्रभाव होने की आशंका नहीं है।

कोरोना महामारी ने विश्व में कोहराम मचा कर रखा हैं ।इस वायरस के कारण करोड़ों लोगों ने अपने परिवार वालों को खो दिया हैं। हालांकि फिर एक बार कोरोना महामारी ने दस्तक दी हैं । अलग-अलग देशों में कोरोना की चौथी लहर शुरू हो चुका हैं और इस नए अपडेट वायरस के कारण फिर एक बार लॉकडाउन लगाया जा रहा हैं। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए भारत के विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की है और आगाह किया है कि कोरोना के नियमों का पालन करते रहें। दरअसल, कुछ विशेज्ञों का मानना है कि भारत में तेजी से कोरोना रोधी टिकाकरण अपनी चरम शिखर पर पहुंच चुका हैं। इसी को देखते हुए भविष्य में चोथी लहर की आशंका कम जताई जा रही हैं. 
कुछ विशेषज्ञों ने तो यहां तक ​​कहा कि सरकार को मास्क पहनने में ढील देने पर विचार करना चाहिए क्योंकि रोजाना सामने आने वाले संक्रमण के नये मामलों और मौतों की संख्या में कुछ समय से लगातार कमी दर्ज की जा रही है।भारत में रविवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 1,761 नये मामले सामने आए, जो लगभग 688 दिनों में सबसे कम मामले रहे।
AIIMS के ने क्या कहा ?
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के वरिष्ठ महामारी विज्ञानी डॉ संजय राय ने कहा कि सार्स-सीओवी-2 एक ‘आरएनए’ वायरस है और इसके स्वरूप में बदलाव होना तय है। उन्होंने कहा कि पहले से ही 1,000 से अधिक बदलाव हो चुके हैं, हालांकि, केवल ऐसे पांच स्वरूप सामने आए हैं, जो चिंता का कारण बने हैं।
राय ने कहा, ”भारत ने पिछले साल कोविड-19 की बहुत ही विनाशकारी दूसरी लहर का सामना किया जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण रहा। हालांकि, वर्तमान में हमारी प्रमुख ताकत प्राकृतिक संक्रमण है जो लंबी अवधि के लिए बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है। इसके अलावा, उच्च टीकाकरण कवरेज है। इसलिए, भविष्य की किसी भी लहर का गंभीर प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है।”
जीनोमिक अनुक्रमण सहित सार्स-सीओवी-2 की निगरानी जारी रखनी चाहिए
  मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा, ” यह ऐसा समय है, जब भारत सरकार अनिवार्य रूप से मास्क पहनने से ढील देने पर विचार कर सकती है।” उन्होंने यह भी कहा कि वरिष्ठ नागरिकों और संक्रमण की चपेट में आने के उच्च जोखिम वाले लोगों को एहतियात के तौर पर मास्क पहनना जारी रखना चाहिए।महामारी विज्ञानी ने जोर देकर कहा कि भविष्य में वायरस के किसी भी नये स्वरूप के उभरने की निगरानी के लिए सरकार को जीनोमिक अनुक्रमण सहित सार्स-सीओवी-2 की निगरानी जारी रखनी चाहिए।एक अन्य महामारी विज्ञानी और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ चंद्रकांत लहरिया के अनुसार, वायरस के किसी नये स्वरूप के सामने आने की सूरत में भी भारत में मामलों में वृद्धि की आंशका कम ही है।
कोविड-19 महामारी जल्द भारत में समाप्त हो जाएगी 
 जानकारी के मुताबिक, उन्होंने कहा, ”अगर हम सीरो सर्वेक्षण के आंकड़ों, टीकाकरण कवरेज और वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप के प्रसार के साक्ष्यों का अध्ययन करते हैं तो इस निष्कर्ष पर पहुंचना तर्कसंगत है कि कोविड-19 महामारी भारत में समाप्त हो गई है। भारत के संदर्भ में अगले कई महीने तक किसी नयी लहर और नये स्वरूप के सामने आने की आशंका बेहद कम है।”लहरिया ने कहा कि यह ऐसा समय है, जब अधिकतर आबादी को अनिवार्य रूप से मास्क पहनने के नियम से छूट दी जा सकती है।
वहीं, सफदरजंग अस्पताल में सामुदायिक चिकित्सा के प्रमुख डॉ जुगल किशोर ने कहा कि सीरो सर्वेक्षण के आंकड़े दर्शाते हैं कि आबादी का 80-90 फीसदी हिस्सा संक्रमण की चपेट में आ चुका है, ऐसे में मास्क पहनने जैसे उपायों से छूट दी जा सकती है।टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी परामर्श समूह के कोविड-19 कार्यकारी समूह के अध्यक्ष डॉ एन के अरोड़ा का कहना है कि उच्च टीकाकरण कवरेज और बीमारी के व्यापक तौर पर फैलने के बाद, भारत पर किसी नयी लहर के गंभीर प्रभाव की आशंका कम है।

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