अदालत रमानी के खिलाफ अकबर के मानहानि मामले की सुनवाई करने पर सहमत - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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अदालत रमानी के खिलाफ अकबर के मानहानि मामले की सुनवाई करने पर सहमत

दिल्ली की एक अदालत एम जे अकबर द्वारा पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले की सुनवाई के लिए बृहस्पतिवार को सहमत

दिल्ली की एक अदालत एम जे अकबर द्वारा पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले की सुनवाई के लिए बृहस्पतिवार को सहमत हो गयी और वह 31 अक्टूबर को पूर्व केंद्रीय मंत्री का बयान दर्ज करेगी। रमानी ने आरोप लगाया है कि अकबर ने करीब 20 साल पहले उनका यौन उत्पीड़न किया था।

शिकायत का संज्ञान लेते हुए अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने अकबर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गीता लूथरा की दलीलें सुनी कि रमानी के विभिन्न ‘विवादास्पद’ ट्वीटों और अन्य सोशल मीडिया पोस्टों से उनके मुवक्किल की 40 सालों में बनी प्रतिष्ठा की अपूरणीय क्षति हुई है।

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मजिस्ट्रेट ने कहा, ‘‘शिकायतकर्ता (अकबर) और उनके गवाहों के परीक्षण के लिए मामले की तारीख 31 अक्टूबर तय की जाए।’’ अकबर (67) अदालत में मौजूद नहीं थे।

आपराधिक मानहानि का मामला महत्वपूर्ण है क्योंकि दोषी साबित होने पर आरोपी को जेल भेजा जा सकता है। आईपीसी की धारा 500 में मानहानि के अपराध के लिए सजा का प्रावधान है और आरोपी को दो साल की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकता है इस बीच ‘एडीटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ ने अकबर से कहा कि वह अवमानना मामले को वापस ले लें। यह संगठन उन महिला पत्रकारों के समर्थन में आगे आया है जिन्होंने उन पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।

अगर अकबर यह मामला वापस नहीं लेते या आरोप लगाने वाली अन्य महिला पत्रकारों के खिलाफ भी मामला दायर करते हैं तो गिल्ड ने उन्हें भी विधिक सहायता देने की बात भी कही है।

रमानी ने सबसे पहले अकबर के खिलाफ सार्वजनिक रूप से आरोप लगाए थे। पिछले 10 दिनों में कम से कम 20 महिलाएं आगे आयी हैं और उन्होंने अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।

पटियाला हाउस अदालत परिसर में 20 मिनट चली सुनवाई के दौरान, वरिष्ठ वकील लूथरा ने घटनाक्रम का जिक्र किया और कहा कि अकबर ने इन आरोपों के बाद कल विदेश राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। इससे पता चलता है कि उनकी प्रतिष्ठा किस हद तक प्रभावित हुयी है।

उन्होंने एक पत्रकार के रूप में अकबर की प्रतिष्ठा का भी जिक्र किया और शिकायत पर संज्ञान ले कर इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप का अनुरोध किया।

अपराध दंड प्रक्रिया संहिता के अनुसार अदालत प्रतिवादी को सम्मन जारी करने से पहले सबूत मंगाएगी, अकबर तथा अन्य गवाहों का बयान दर्ज करेगी। यदि वह इस बात से संतुष्ट हो जाती है कि शिकायत में प्रथम दृष्टया दम है तो वह रमानी को नोटिस जारी करेगी। अकबर ने बुधवार को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। उससे पहले उन्होंने स्पष्ट किया था कि उन्होंने ‘निजी’ हैसियत से यह मामला दर्ज कराया है और वह अदालत में लड़ाई लड़ेंगे।

उन्होंने अपने त्यागपत्र में कहा था, ‘‘चूंकि मैंने व्यक्तिगत हैसियत से अदालत में इंसाफ मांगने का फैसला किया है, अतएव मैं पद से हटने और अपने खिलाफ लगे आरोपों को भी निजी हैसियत से चुनौती देने को उपयुक्त मानता हूं। इसलिए मैंने विदेश राज्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया है।’’

अकबर ने सोमवार को रमानी के खिलाफ मानहानि की शिकायत दर्ज करायी थी। उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्होंने उनकी प्रतिष्ठा और राजनीतिक कद को नुकसान पहुंचाने के निहित इरादे से ‘जान बूझकर’ और ‘दुर्भावनापूर्ण तरीके’ से उनके विरुद्ध लांछन लगाए।

मानहानि के आरोपों की कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए अपनी तैयारी जाहिर करते हुए रमानी ने कहा था, ‘‘कई महिलाओं ने उनके विरुद्ध जो गंभीर आरोप लगाये हैं, उनका सामना करने के बजाय वह डरा-धमकाकर और परेशान कर उन्हें चुप कराना चाहते हैं।’’

अकबर की अर्जी में सोशल मीडिया पर रमानी द्वारा लगाये गये कथित मानहानिकारक लांछनों का जिक्र किया गया है। उसमें रमानी के आरोपों को काल्पनिक करार देकर अकबर के बतौर पत्रकार ‘लंबे और शानदार’ करियर का हवाला भी दिया गया है। गिल्ड ने अपने बयान में कहा कि वह विभिन्न महिला पत्रकारों के साहस को सलाम करता है जिन्होंने यौन उत्पीड़न की घटनाओं को सार्वजनिक किया।

बयान में कहा गया है कि मंत्रिपरिषद से एम जे अकबर का त्यागपत्र न्यूजरूम में लिंग समानता के उच्च मूल्यों को बनाए रखने के लिए संघर्ष की खातिर साहस का परिणाम है।

गिल्ड ने कहा कि उसे आशा है कि अकबर इनमें से एक शिकायतकर्ता के खिलाफ आपरधिक अवमानना का मामला वापस लेकर शिष्टता का परिचय देंगे। हालांकि अकबर को पूरा अधिकार है कि वह किसी नागरिक को उपलब्ध विधिक उपायों का प्रयोग करें। लेकिन एक वरिष्ठ संपादक के लिए यह ठीक नहीं होगा कि वह आपराधिक अवमानना के औजारों का प्रयोग करे, विशेषकर अकबर के लिए, जो कभी गिल्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं।

बयान में कहा गया है, ‘‘अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, या फिर अन्य महिलाओं के खिलाफ भी ऐसे मामले दायर करते हैं, तब गिल्ड अपनी ओर से महिलाओं को मदद की पेशकश करता है। अगर उनमें से किसी को विधिक सलाह या सहायता की आवश्यकता होती है, तो गिल्ड अपनी तरफ से उनकी सहायता करने का पूरा प्रयास करेगा और सार्वजनिक हित में मशहूर वकीलों से उनकी पैरवी करने की अपील भी करेगा।

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