उच्चतम न्यायालय ने पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) के संविधान पर सवाल खड़े करने वाली याचिका पर शुक्रवार को प्राधिकरण से इस मामले में टिप्पणियां मांगी। याचिका में इस आधार पर ईपीसीए के संविधान पर सवाल खड़े किए गए हैं कि उसमें केवल दिल्ली के सदस्य हैं।
उच्चतम न्यायालय से अधिकार प्राप्त इस प्राधिकरण की अध्यक्षता सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी भूरे लाल कर रहे हैं और इसमें विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र की महानिदेशक सुनीता नारायण समेत सात सदस्य हैं। प्राधिकरण को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने का कार्य सौंपा गया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ से कहा कि याचिका में ‘‘तथ्यों को पूरी तरह गलत तरीके से समझा गया’’ है क्योंकि याचिकाकर्ता यह नहीं जानता कि ईपीसीए कैसे काम करता है।
सिंह ने पीठ को बताया कि प्राधिकरण दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण पर नजर रखता है और एनसीआर राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ विचार-विमर्श करता है।
इस पर, पीठ ने कहा, ‘‘ईपीसीए को यदि मदद चाहिए तो वह मुख्य सचिव से पूछ सकता है। मुख्य सचिव अति व्यस्त होता है।’’
पीठ ने यह भी कहा कि राज्य के मुख्य सचिव को प्रशासनिक कार्य के लिए अपने मुख्यमंत्री के संपर्क में रहना होता है।
पीठ ने ईपीसीए से इस याचिका पर अपनी टिप्पणियां देने को कहा।
यह मामला उस समय सामने आया था जब पीठ दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण संबंधी एक मामले की सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि केवल दिल्ली के ही लोग ईपीसीए के सदस्य हैं और उसने मांग की थी कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान जैसे एनसीआर राज्यों के लोगों को ईपीसीए का सदस्य होना चाहिए।