नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सड़कों पर गड्ढों के चलते हुई दुर्घटनाओं में पिछले पांच वर्षों में 14,926 लोगों की मौत पर गुरुवार को चिंता जताई। न्यायमूर्ति मदन बी. लोकूर, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा कि सड़कों पर गड्ढों के कारण बड़ी संख्या में मौत ‘‘अस्वीकार्य’’ हैं और ‘‘संभवत: यह संख्या सीमा पर या आतंकवादियों द्वारा की गई हत्याओं से ज्यादा है।
पीठ ने कहा कि 2013 से 2017 के बीच सड़कों पर गड्ढों के कारण हुई मौतों का आंकड़ा दिखाता है कि अधिकारी सड़कों की देखरेख नहीं कर रहे हैं। न्यायालय ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश के. एस. राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की सड़क सुरक्षा समिति द्वारा दायर रिपोर्ट पर केन्द्र से जवाब मांगा। पीठ ने कहा कि मामले पर अगली सुनवाई अब जनवरी में होगी।
टूटी सड़कों से उड़ रही धूल
अधिकारियों की अनदेखी के कारण शहर के लोग धूल भरे माहौल में जीने को मजबूर हैं। टूटे रोडों के कारण शहर में कई जगह ऐसे हालत बने हुए हैं। बरसात के बाद टूटे रोडों में जमा मिट्टी के अब सूख जाने की वजह से रोडों पर ज्यादा धूल उड़ रही है। जिससे राहगीरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। धूल के गुबार की वजह से लोगों का कई सड़कों पर चलना भी दूभर हो गया है। शहर में धूल मिट्टी उडऩे से हालात इस कदर खराब हो गए हैं कि लोगों ने शहर के रोडों पर निकलना भी कम कर दिया है। रोडों पर उडऩे वाली धूल ने अब शहर को भी अपने आगोश में ले लिया है। ऐसे हालात बरसात के बाद बनने लगे हैं।
बरसात के समय रोडों पर बने गड्ढों में जमा हुए पानी के सूख जाने के बाद उनमें बने गाद व कीचड़ ने धूल का रूप धारण कर लिया है। वहीं सड़कों के किनारे का कीचड़ भी टायरों के लगकर मुख्य मार्ग पर आ गया, जो बाद में सूखने पर रेत बनकर उडऩे लगा है। शहर का कोई सा रोड हो धूल के कारण लोगों का निकलना मुश्किल हो गया है। धूल के कारण सबसे ज्यादा बुरा हाल सिंघाना रोड का है। वहीं महेंद्रगढ़ रोड, रेवाड़ी रोड के अलावा शहर के अंदर जाने वाले नई मंडी रोड, जमालपुर रोड, नलापुर रोड समेत अन्य मार्गों पर पूरा दिन धूल के गुबार देखे जा सकते हैं।