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न्यायालय आर्थिक रूप से दुर्बल वर्ग के लिये 10 फीसदी आरक्षण के खिलाफ 30 जुलाई से करेगा सुनवाई

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि आर्थिक रूप से दुर्बल वर्गो के लिये नौकरियों तथा शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिये 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था करने

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि आर्थिक रूप से दुर्बल वर्गो के लिये नौकरियों तथा शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिये 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था करने के केन्द्र के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 30 जुलाई से सुनवाई की जायेगी। न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने कहा कि इस विवादास्पद कानून के अमल पर अंतरिम रोक के आवेदन पर भी वह सुनवाई करेगा। पीठ ने कहा कि इस मामले में विस्तार से सुनवाई की आवश्यकता है। 
गैर सरकारी संगठन ‘जनहित अभियान’ सहित कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि इस कानून के अमल पर रोक लगाने की आवश्यकता है। पीठ ने कहा कि इस मामले में विस्तार से सुनवाई की आवश्यकता है और वह सभी आवेदनों के साथ याचिकाओं पर 30 जुलाई से सुनवाई करेगी। न्यायालय ने इससे पहले सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिये सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से दुर्बल वर्गो अभ्यर्थियों के लिये 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था के केन्द्र सरकार के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। 
हालांकि, न्यायालय संबंधित कानून की वैधानिकता पर विचार के लिये तैयार हो गया था और उसने केन्द्र को नोटिस जारी किया था। इस फैसले को चुनौती देने वाले एक याचिकाकर्ता ने संविधान (103वें संशोधन) कानून, 2019 को निरस्त करने का अनुरोध किया है। याचिका में तर्क दिया गया है कि आरक्षण के लिये सिर्फ आर्थिक आधार को एकमात्र आधार नहीं बनाया जा सकता है।  याचिका में कहा गया है कि इस कानून से संविधान के बुनियादी ढांचे का हनन होता है क्योंकि आर्थिक आधार पर आरक्षण सिर्फ सामान्य वर्ग तक ही सीमित नहीं किया जा सकता है और वैसे भी आरक्षण 50 फीसदी की सीमा से ज्यादा नहीं हो सकता है। आर्थिक रूप से दुर्बल वर्गो के लिये दस फीसदी आरक्षण की व्यवस्था अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गो को मिल रहे 50 फीसदी आरक्षण से इतर है। 

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