माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने आरोप लगाया है कि कार्यकर्ता, वकील प्रशांत भूषण को उनके ट्वीट के लिए अवमानना का दोषी ठहराने का उच्चतम न्यायालय का फैसला भारत के संवैधानिक लोकतंत्र को कमजोर करता है।
न्यायालय ने प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के प्रति उनके दो अपमानजनक ट्वीट के लिये उन्हें शुक्रवार को अवमानना का दोषी ठहराया। येचुरी ने कहा, ‘‘प्रशांत भूषण के ट्वीट के निश्चित निरूपण को लेकर कोई सहमत हो या नहीं हो, उन्हें दोषी ठहराने का उच्चतम न्यायालय का फैसला चिंताजनक है। यह उच्चतम न्यायालय द्वारा संवैधानिक प्राधिकार के रूप में निभाई गई भूमिका की वास्तविक आलोचना को अवमानना के दायरे में ला देता है।’’
उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट करते हुए कहा, फैसला भारत के लोकतंत्र में उच्चतम न्यायालय की भूमिका पर खुली और मुक्त चर्चा को रोकेगा। इससे भारत का संवैधानिक लोकतंत्र कमजोर होता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह निर्णय उसके रोजाना के कामकाज और दृष्टिकोण की वास्तविक आलोचना को भी इसके दायरे में लाता है। माकपा नेता ने कहा कि अब तक ऐसे बयानों को संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत इससे संरक्षण प्राप्त था और उन्हें अवमानना वाला नहीं माना जाता था।