थानों में मानव अधिकारों का हनन रोकने के लिये सीसीटीवी की व्यवस्था पर न्यायालय आदेश पारित करेगा - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

थानों में मानव अधिकारों का हनन रोकने के लिये सीसीटीवी की व्यवस्था पर न्यायालय आदेश पारित करेगा

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि देश भर में थानों में मानव अधिकारों का हनन रोकने के प्रयास में इनमें सीसीटीवी की व्यवस्था को दुरूस्त करने के बारे में उचित आदेश पारित किया जायेगा।

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि देश भर में थानों में मानव अधिकारों का हनन रोकने के प्रयास में इनमें सीसीटीवी की व्यवस्था को दुरूस्त करने के बारे में उचित आदेश पारित किया जायेगा। न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन, न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने थानों में सीसीटीवी की फुटेज कम से कम 45 दिन तक सुरक्षित रखने और इसके भंडारण की समुचित व्यवस्था के बारे में दायर याचिका पर सुनवाई पूरी की। पीठ ने कहा कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जायेगा। 
पीठ ने कहा, ‘‘इस व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिये हमे अंतत: आदेश पारित करना होगा।’’ शीर्ष अदालत ने हिरासत में यातना से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान इस साल जुलाई में 2017 का वह मामला पुनर्जीवित किया था जिसमे मानव अधिकारों का हनन रोकने के लिये देश के सभी थानों में सीसीटीवी लगाने, घटना स्थल की वीडियोग्राफी करने और केन्द्रीय निगरानी समिति तथा प्रत्येक राज्य तथा केन्द्र शासित प्रदेश में ऐसी ही समितियां गठित करने का आदेश दिया गया था। 
इस मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने सुनवाई शुरू होते ही पीठ से कहा कि कई राज्यों ने 2017 के मामले में शीर्ष अदालत के आदेश के अनुपालन के बारे में तीन अप्रैल, 2018 को हलफनामे दाखिल किये हैं। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश ने 1117 थानों में 859 सीसीटीवी कैमरे लगाये हैं जबकि मिजोरम ने 40 थानों में 147, मणिपुर ने 87 और सिक्किम ने थानों में नहीं बल्कि जेलों में दो सीसीटीवी लगाये हैं। पीठ ने कहा कि उसे राज्यों में प्रत्येक जिले में कुल थानों की संख्या के बारे में अतिरिक्त हलफनामे की जरूरत है और वह देखना चाहती है कि थानों में लगे सीसीटीवी काम कर रहे हैं और इनकी जिम्मेदारी निर्धारित करनी है। 
दवे ने जवाब दिया कि इन सीसीटीवी कैमरों के काम करने की जिम्मेदारी थाना प्रभारी की होनी चाहिए। अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल, जिनसे न्यायालय ने इस मामले में सहयोग करने का अनुरोध किया था, ने कहा कि राज्य सरकारों को ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित थानों में सीसीटीवी कैमरों के सुचारू ढंग से काम करने के लिये इन थानों के लिये बिजली आपूर्ति और इंटरनेट की सुविधा सुनिश्चित करनी होगी और इस संबंध में सभी के लिये प्रश्नावली जारी करनी होगी। 
पीठ ने कहा, ‘‘हमारा सरोकार पुलिस ज्यादतियों के बारे में है और ज्यादा जरूरी यह है कि निगरानी समिति इन सीसीटीवी की फुटेज देखकर तत्काल कार्रवाई करने की स्थिति में होनी चाहिए। पश्चिम बंगाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने सुझाव दिया कि निगरानी समिति में पुलिस आयुक्त, जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को शामिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी थानों में सीसीटीवी लगे है और मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद राज्य सरकार निगरानी समिति का गठन करेगी। 
उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता विनोद दिवाकर ने भी कहा कि राज्य के सभी थानों में सीसीटीवी सुनिश्चित किये गये हैं। पीठ ने कहा कि यह अच्छी बात है कि कुछ राज्यों ने न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन किया है लेकिन न्यायालय इसे एक मामले के रूप में नहीं बल्कि इसे समग्र रूप में देख रही है। वेणुगोपाल ने सुझाव दिया कि निगरानी समिति की एक हेल्पलाइन भी होनी चाहिए ताकि किसी भी तरह की ज्यादती उसके संज्ञान में लायी जा सके। 
पीठ ने कहा कि वह इस संबंध में एक दो दिन में आदेश पारित करेगी लेकिन इस बीच उसने 27 नवंबर तक दवे को लिखिल को अपने सुझाव पेश करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने 16 जुलाई को धारा 161 के तहत पुलिस के समक्ष आरोपी के बयान ऑडियो-वीडियो रिकार्डिंग से दर्ज करने ओर थानों में सीसीटीवी लगाने के व्यापक सवाल पर केन्द्र और राज्यों से जवाब मांगा था। 
पीठ ने इस तथ्य का जिक्र किया था कि तीन अप्रैल, 2018 के आदेश में प्रत्यक राज्य में एक निगरानी व्यवस्था बनाने के लिये कहा गया था ताकि एक स्वतंत्र समिति सीसीटीवी की फुटेज का अध्ययन करके समय समय पर अपनी टिप्पणियों के साथ रिपोर्ट प्रकाशित करे। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

2 × three =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।