केन्द्रीय जांच ब्यूरो के मामले की सुनवाई के दौरान शुक्रवार को उस वक्त कुछ हल्के फुल्के क्षण भी देखने को मिले जब केन्द्रीय सतर्कता आयोग के वकील ने उच्चतम न्यायालय से आयोग की गोपनीय प्रारंभिक रिपोर्ट उपलब्ध कराने का अनुरोध किया।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सीवीसी की ओर से पेश सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से सवाल किया, ‘‘आपको (सीवीसी) यह (रिपोर्ट) नहीं मिली? आप तो इसके लेखक हैं और आपने ही इसे नहीं देखा है?’’
मेहता ने पीठ से कहा कि हालांकि इस मामले में वह सीवीसी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं परंतु बतौर वकील उन्होंने इसे नहीं देखा है।
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शीर्ष अदालत के पहले के निर्देश का जिक्र करते हुये उन्होंने कहा, ‘‘मैंने यही कहा है कि चूंकि न्यायलय ने मुझसे इसे (रिपोर्ट) सीलबंद लिफाफे में दाखिल करने के लिये कहा था, मैं इसे सिर्फ न्यायालय में ही पेश करूंगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कृपया इस रिपोर्ट को मुझे भी उपलब्ध करायें।’’ केन्द्र की ओर उपस्थित अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि उन्होंने मेहता से रिपोर्ट के बारे में पूछा था तो सालिसीटर जनरल ने उनसे कहा कि यह तो उन्होंने भी नहीं देखी है।
इसके बाद, पीठ ने आदेश दिया कि सीवीसी की रिपोर्ट वेणुगोपाल और मेहता के कार्यालयों को सीलबंद लिफाफे में उपलब्ध करायी जाये।
न्यायालय ने कहा कि सीवीसी की रिपोर्ट की एक प्रति संलग्नकों के साथ सीलबंद लिफाफे में आलोक वर्मा को दी जाये। न्यायालय ने कहा कि इस पर जवाब दाखिल करने के लिये इसे वही खोलेंगे और 19 नवंबर को अपराह्न एक बजे तक फिर से सीलबंद कर देंगे।
पीठ ने यह भी कहा कि केन्द्रीय जांच ब्यूरो संस्था की शुचिता बनाये रखने और इसे बचाये रखने तथा इसके प्रति जनता के भरोसे की रक्षा के लिये केन्द्रीय सतर्कता आयोग की रिपोर्ट की गोपनीयता जरूरी है।