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दलाई लामा ने ‘अम्फान’ से प्रभावित हुए लोगों के प्रति जताई संवेदना, बंगाल और ओडिशा के मुख्यमंत्रियों को लिखा पत्र

दलाई लामा ने बनर्जी और पटनायक को पत्र लिखकर ‘अम्फान’ के कारण हुए जान-माल के नुकसान और लोगों के सामने आई परेशानियों को लेकर दुख प्रकट किया।

तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने चक्रवाती तूफान ‘अम्फान’ से ओडिशा और पश्चिम बंगाल में हुए जान-माल के नुकसान को लेकर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर लेकर दुख जताया। इसके साथ ‘दलाई लामा ट्रस्ट’ से राज्यों के राहत एवं पुनर्वास कार्यों के लिए दान का भी ऐलान किया गया है।
लाई लामा ने पत्रों में लिखा कि वह ‘‘पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लोगों के साथ एकजुटता के प्रतीक के तौर पर’’ राहत एवं पुनर्वास कार्यों के लिए ‘दलाई लामा ट्रस्ट’ से दान दे रहे हैं। उनके कार्यालय द्वारा गुरुवार को जारी बयान में दान की राशि का जिक्र नहीं किया गया। बयान में बताया गया कि दलाई लामा ने बनर्जी और पटनायक को पत्र लिखकर ‘अम्फान’ के कारण हुए जान-माल के नुकसान और लोगों के सामने आई परेशानियों को लेकर दुख प्रकट किया। 
चक्रवात ‘अम्फान’ के कारण पश्चिम बंगाल में कम से कम 80 लोगों की मौत हो गई है। बनर्जी ने कहा है कि राज्य को इस चक्रवाती तूफान के कारण एक लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। ओडिशा में इस चक्रवात से किसी की मौत होने की कोई सूचना नहीं है, लेकिन राज्य के करीब 45 लाख लोग इससे प्रभावित हुए हैं और तटवर्ती जिलों में बड़ी संख्या में मकान नष्ट हो गए हैं। 

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दलाई लामा ने चक्रवात के कारण अपने प्रियजन को खोने वाले परिवारों के प्रति भी संवेदना प्रकट की। उन्होंने दोनों मुख्यमंत्रियों को भेजे पत्र में कहा, ‘‘मैं इस प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए पहले से की गई तैयारियों और प्रभावित लोगों को राहत एवं मदद पहुंचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना करता हूं।’’ 
पश्चिम बंगाल और बौद्धधर्म के बीच प्राचीन संबंधों को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 61 साल से कई तिब्बतियों का आवास रही पावन भूमि भारत के प्रति हमारी विशेष श्रद्धा के अलावा बंगाल के प्रति हमारे मन में विशेष सम्मान है।’’ उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के प्रति यह विशेष सम्मान उसकी दो महान हस्तियों के कारण है। 
दलाई लामा ने कहा कि ये हस्तियां आठवीं सदी में तिब्बत में पहले तिब्बती बौद्ध मठ की स्थापना करने वाले महान दार्शनिक शान्तरक्षित और 11वीं सदी में बौद्ध धर्म के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले दीपांकर अतिश हैं।

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