संसद के मॉनसून सत्र के दौरान ‘‘अशोभनीय आचरण’’ करने के कारण शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए 12 सदस्यों के निलंबन के मुद्दे पर राज्यसभा में गतिरोध मंगलवार को भी बरकरार रहा और उच्च सदन की बैठक शुरू होने के केवल पांच मिनट बाद ही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
हंगामे के चलते शून्यकाल और प्रश्नकाल हुआ बाधित
इस वजह से उच्च सदन में आज भी शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो पाए। सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसके बाद उन्होंने बताया कि उन्हें विभिन्न मुद्दों पर नियम 267 के तहत कुछ नोटिस मिले हैं जिन्हें उन्होंने स्वीकार नहीं किया। सभापति के इतना कहते ही विपक्षी सदस्यों ने 12 निलंबित सदस्यों का निलंबन रद्द करने का मुद्दा उठाना चाहा।
हंगामे की शुरूआत होते ही स्थगित हुई राज्यसभा
उनके हंगामे की शुरूआत होते ही नायडू ने बैठक 11 बज कर पांच मिनट पर दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। गौरतलब है कि पिछले सप्ताह सोमवार, 29 नवंबर को आरंभ हुए संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को, मॉनसून सत्र के दौरान ‘‘अशोभनीय आचरण’’ करने के कारण, इस सत्र की शेष अवधि के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था।
किन सदस्यों की वजह से जारी है गतिरोध
जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं। विपक्ष इन सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग कर रहा है जिसकी वजह से सदन में गतिरोध बना हुआ है और बैठक बार-बार बाधित हुई है।