वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत-चीन के बीच चल सीमा विवाद के बीच मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। रक्षा मंत्रालय ने लड़ाकू विमानों और हथियारों की खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। दोनों देशों के बीच मौजूद तनाव के बीच भारत सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय से ड्रैगन की चिंता बड़ा सकता है।
गुरुवार को रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में 21 मिग-29 और 12 सुखोई (एसयू-30 एमकेआई) लड़ाकू विमानों की खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा 59 मौजूदा मिग-21 एस को अपग्रेड भी किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि रूस के साथ हो रही इस डील की कुल कीमत 18,148 करोड़ रुपये है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में ये फैसले लिए गए। अधिकारियों ने बताया कि 21 मिग-29 लड़ाकू विमानों और मिग-29 के मौजूदा बेड़े को उन्नत बनाने पर अनुमानित तौर पर 7,418 करोड़ रुपये खर्च होंगे। जबकि, हिन्दुस्तान एरोनॉटिकल्स लिमिटेड से 12 नए एसयू-30 एमकेआई विमान की खरीद पर 10,730 करोड़ रुपये की लगात आएगी।
डीएसी ने नौसेना और वायुसेना के लिए 1,000 किलोमीटर रेंज की मारक क्षमता वाले ‘लैंड अटैक क्रूज मिसाइल सिस्टम’ और अस्त्र मिसाइलों की खरीद को भी मंजूरी दी है। अधिकारियों ने बताया कि इस रूपरेखा और विकास प्रस्तावों की लागत 20,400 करोड़ रुपये है। रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘पिनाका मिसाइल सिस्टम से भी मारक क्षमता बढ़ेगी।
इसके साथ ही एक हजार किलोमीटर लंबी दूरी की मारक क्षमता वाले मिसाइल सिस्टम से नौसेना और वायुसेना की मारक क्षमता में कई गुणा बढ़ोतरी होगी। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह, अस्त्र मिसाइलों को बेड़े में शामिल करने से बल की ताकत में और इजाफा होगा। इससे भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना की मारक क्षमता में जबरदस्त बढोतरी होगी। ’’