भारत के केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्री स्तर के सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए तीन दिवसीय यात्रा पर उज्बेकिस्तान जा रहे है। ये सम्मेलन ताशकंद में होने वाला है, जहाँ राजनाथ सिंह तीन दिन रुकेंगे। चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंघे और रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू के भी एससीओ बैठक में भाग लेने की उम्मीद है। इनके अलावा समूह के अन्य सदस्य देशों के उनके समकक्षों के भी एससीओ बैठक में शामिल होने की संभावना है।
वही, प्रभावशाली समूह के वार्षिक शिखर सम्मेलन से लगभग तीन सप्ताह पहले एससीओ सदस्य देशों के रक्षा मंत्री स्तर की बैठक हो रही है। शिखर सम्मेलन 15-16 सितंबर को समरकंद में निर्धारित है। सिंह ने सोमवार को एक ट्वीट में कहा, ‘‘कल 23 अगस्त को मैं ताशकंद में होने वाली, एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए उज्बेकिस्तान में रहूंगा। मैं उज्बेकिस्तान के रक्षा मंत्री लेफ्टिनेंट जनरल निजामोविच के साथ द्विपक्षीय बैठक करूंगा और भारतीय समुदाय के साथ भी बातचीत करूंगा। इसे लेकर उत्साहित हूं।’’
सम्मेलन में शामिल होने के लिए उत्साहित है रक्षा मंत्री
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सिंह 23-25 अगस्त तक ताशकंद की अपनी यात्रा के दौरान एससीओ के कुछ सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों से मुलाकात करेंगे। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि सिंह और शोइगू के बीच बैठक होगी या नहीं। भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में दो साल से अधिक समय से टकराव के कई बिंदुओं को लेकर गतिरोध बरकरार है। सिंह 24 अगस्त को एससीओ की बैठक को संबोधित करने वाले हैं। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘ताशकंद की यात्रा के दौरान, रक्षा मंत्री उज्बेकिस्तान गणराज्य के रक्षा मंत्री लेफ्टिनेंट जनरल बखोदिर कुर्बानोव से मुलाकात करेंगे, जो मेजबान देश भी है।’’
अन्य देश के रक्षा मंत्री भी बैठक में होंगे शामिल
वही, बयान के अनुसार, ‘‘इसके अलावा इस बैठक में उनकी एससीओ के कुछ अन्य सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ भी बैठकें निर्धारित हैं, जहां द्विपक्षीय मुद्दों और आपसी हित के मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।’’ एससीओ की बैठक में यूक्रेन और अफगानिस्तान की स्थिति सहित क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर विचार-विमर्श होने की उम्मीद है। एससीओ एक प्रभावशाली आर्थिक और सुरक्षा समूह है और यह सबसे बड़े अंतर-क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठनों में से एक के रूप में उभरा है। 2017 में भारत और पाकिस्तान इसके स्थायी सदस्य बने। एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों द्वारा एक शिखर सम्मेलन में की गई थी।
भारत ने एससीओ और इसके क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी ढांचे (आरएटीएस) के साथ अपने सुरक्षा-संबंधी सहयोग को मजबूत करने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है, जो विशेष रूप से सुरक्षा और रक्षा से संबंधित मुद्दों से जुड़ा है। भारत को 2005 में एससीओ में एक पर्यवेक्षक बनाया गया था और उसने आम तौर पर समूह की मंत्री स्तरीय बैठकों में भाग लिया है, जो मुख्य रूप से ‘यूरेशियाई क्षेत्र’ में सुरक्षा और आर्थिक सहयोग पर केंद्रित है।