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Defense Minister राजनाथ सिंह बोले- रक्षा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हमे कोई अहम योजना बनानी चाहिए?

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि विविधताओं से भरे हमारे देश में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं और हमें सांस्कृतिक पर्यटन के साथ साथ विशेष रूप से रक्षा पर्यटन तथा सीमाई क्षेत्रों की विविधता पर आधारित पर्यटन की संभावनाओं को बढाने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

भारत एक विभिन्नताओं वाला देश हैं। जहां पर अलग-अलग जाति के लोग मिल-जुलकर रहते हैं। वहीं, इन्ही आधारभूत वाले लोगों से देश में पर्यटन की अपार संभवनाएं सम्मिलत हैं। हालांकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि  हमें सांस्कृतिक पर्यटन के साथ साथ विशेष रूप से रक्षा पर्यटन तथा सीमाई क्षेत्रों की विविधता पर आधारित पर्यटन की संभावनाओं को बढाने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
 रक्षा प्रदर्शनी, एयरो इंडिया शो देश के अलग-अलग हिस्सों में आयोजित किए
श्री सिंह ने गुरूवार को सीमा सड़क संगठन के नये पोर्टल का उद्घाटन करते हुए कहा,‘‘ भारत जैसे विविधता भरे देश में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, जिनका मैं समझता हूँ दोहन करना चाहिए। हमारे देश में तीर्थ स्थलों, ऐतिहासिक स्थलों, पहाड़, जंगल, रेगिस्तान, बर्फ़ और समुंदर का अछ्वुत मेल है। रक्षा प्रदर्शनी, एयरो इंडिया शो या इसी तरह देश के अलग-अलग हिस्सों में आयोजित किए जाने वाले आयोजनों में मैंने यह बड़ करीब से देखा है। मैं चाहूंगा कि हम लोग सोचें, कि क्या रक्षा पर्यटन को बढ़वा देने के बारे में हम कोई योजना बना सकते हैं?’’ रक्षा मंत्री ने कहा कि संस्कृतियों का संरक्षण भी हमारा एक नैतिक और संवैधानिक दायित्व है, जिसे हम पर्यटन के माध्यम से भली-भाँति पूरा कर सकते हैं। यात्राओं के माध्यम से भारतीयों ने दूर देशों तक अपनी संस्कृति की छाप छोड़। हमें पुन: इस परंपरा को जागृत करने की जरूरत है।
पारिस्थतिकीय परिप्रेक्ष्य से पर्यटन को बढ़वा देने की बात
 मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक,  उन्होंने कहा, ‘‘ पारिस्थतिकीय परिप्रेक्ष्य से पर्यटन को बढ़वा देने की बात मैंने पहले भी कही है, पर उसके साथ-साथ संस्कृति पर्यटन को भी बढ़वा देने की हमें जरूरत है। सीमाई क्षेत्रों में इतनी सांस्कृतिक विविधता के बावजूद, वहाँ अभी इसे उतना महत्त्व नहीं मिल पाया है। ’’ श्री सिंह ने कहा कि यह संगठन सीमावर्ती क्षेत्रों में ढांचागत विकास का एक मजबूत स्तंभ बना हुआ है। शुरू में सिर्फ दो परियोजनाओं से बढ़कर, यह अब 18 परियोजनाओं तक पहुंच गया है। संगठन द्वारा 60,000 किलोमीटर से अधिक सड़कों, 850 प्रमुख पुलों, 19 हवाई पट्टियों और 04 सुरंगों का निर्माण किया जा चुका है। उमलिंग-ला दर्रे पर दुनिया की सबसे ऊंची सड़क बनाकर संगठन ने निर्माण के क्षेत्र में भारत को विश्व मानचित्र पर स्थापित कर दिया है। अटल सुरंग का निर्माण निश्चित ही किसी चमत्कार से कम नहीं है उन्होंने कहा कि सीमवर्ती इलाक़ में विकास के नए केंद, बनकर उभरे हैं। उत्तर पूर्व जैसे क्षेत्र, न केवल अपना विकास कर रहे हैं, बल्कि पूरे देश के समग, विकास का नया गेटवे बन रहे हैं। पर्यटन उद्योग में बढ़तरी के साथ सीमावर्ती इलाके, आज विकास की नई गाथा लिख रहे हैं। अटल सुरंग के उद्घाटन के बाद इस क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या में 6 गुना वृद्धि हुई है। यह बड़ क्रांतिकारी परिवर्तन है।

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