दिल्ली उच्च न्यायालय ने आपराधिक षड्यंत्र और बैंकिंग नियमों के उल्लंघन के आरोपों का सामना कर रहे पीएनबी के पूर्व और मौजूदा कार्यकारी अधिकारी, वर्तमान प्रबंध निदेशक समेत बैंक के 11 शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ निचली अदालत में सुनवाई पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति आर के गौबा ने निचली अदालत के समन के आदेश को चुनौती देने वाली पीएनबी की याचिका पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से जवाब मांगा। आरबीआई इस मामले में शिकायतकर्ता है।
उच्च न्यायालय ने अपने हाल के आदेश में कहा, ‘‘इसे सुनवाई के लिए 17 जुलाई को सूचीबद्ध करें। इस बीच, निचली अदालत के समक्ष सुनवाई पर रोक लगाई जाती है।’’ निचली अदालत ने मार्च में पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंध निदेशक (एमडी) और सीईओ सुनील मेहता, कार्यकारी निदेशक संजीव शरण, पूर्व एमडी उषा अनंतसुब्रह्मण्यम, पूर्व कार्यकारी निदेशक आर एस संगापुरे और सात अन्य को आरबीआई द्वारा दायर शिकायत के आधार पर उसके समक्ष पेश होने के लिए कहा था।
उसने मौजूदा प्रबंध निदेशक आई जे अरोड़ा, सहायक महाप्रबंधक टी आर वेंकटेश्वरन और आई पी सिंह, मुख्य प्रबंधक एस के श्रीवास्तव, पूर्व महानिदेशक निहाल अहाद और राकेश कुमार और पूर्व उप महाप्रबंधक सुनील मोहन को भी बतौर आरोपी सम्मन भेजा था। आरबीआई ने अपनी शिकायत में पीएनबी समेत वाणिज्यिक बैंकों को ऑनलाइन धोखाधड़ी रोकने के लिए विभिन्न महत्वपूर्ण प्रणालियों को कोर बैंकिंग सिस्टम से जोड़ने का निर्देश देने वाले आदेश का अनुपालन ना करने का आरेाप लगाया। केंद्रीय बैंक ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने जानबूझकर अपने अनुपालन रिपोर्ट में झूठी जानकारी दी।