भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (राजद्रोह) को चुनौती देते हुए उसे रद्द करने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई, इस मामले में अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत में कहा कि देशद्रोह कानून को रद्द नहीं करना चाहिए, हालांकि उसकी धाराओं का मूल्यांकन कर उनमें बदलाव किया जाना चाहिए। अटॉर्नी जनरल ने कहा, 'देशद्रोह कानून को खत्म नहीं किया जाना चाहिए लेकिन इसकी धाराओं पर दिशानिर्देशों की जरूरत है। क्या अनुमति है, क्या अस्वीकार्य है और कौन सी चीजें राजद्रोह के तहत आ सकती है, यह देखने की जरूरत है।"
वेणुगोपाल ने SC में उठाया नवनीत राणा का मुद्दा
वेणुगोपाल ने सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा के हनुमान चालीसा विवाद के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट को बताया, “आपने देखा है कि देश में क्या हो रहा है। कल, किसी को हिरासत में लिया गया था क्योंकि वे चाहते थे कि हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए, उन्हें अब जमानत पर रिहा कर दिया गया है।” केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल ने देशद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा।
मंगलवार को होगी अगली सुनवाई
एसजी ने कहा कि वकीलों द्वारा राजद्रोह कानून पर एक मसौदा प्रतिक्रिया तैयार की गई है और इसे दायर करने से पहले सक्षम प्राधिकारी द्वारा मंजूर किए जाने की आवश्यकता है। एसजी ने अदालत से सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया। अब इस मामले में अगली सुनवाई मंगलवार को कि जाएगी, बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर याचिकाओं में कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए संविधान के अनुच्छेद 19(1) (ए) के तहत प्राप्त अभव्यिक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार उल्लंघन करती है।