टी. टी. वी. दिनाकरण के विश्वासपात्र अन्नाद्रमुक विधायकों के एक समूह ने मंगलवार को तमिलनाडु के राज्यपाल सीएच विद्यासागर राव से चेन्नई में भेंट कर मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी को पद से हटाने की मांग की। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री उनका विश्वास खो चुके हैं।
हालांकि इस घटनाक्रम से एक दिन पहले सोमवार को के. पलानीस्वामी और ओ. पनीरसेल्वम के नेतृत्व वाले धड़ों ने विलय कर लिया। इसके साथ ही पिछले सात महीने से पार्टी में चल रहा गतिरोध खत्म हो गया। बागी खेमे के नेता को उपमुख्यमंत्री का पद दे दिया गया।
राज्यपाल से मिलने वाले समूह में शामिल एक विधायक ने पहचान गुप्त रखने का अनुरोध करते हुए कहा कि हमारा मुख्यमंत्री में विश्वास नहीं है। इस सरकार के खिलाफ पहले भ्रष्टाचार का आरोप लगा चुके पनीरसेल्वम को उपमुख्यमंत्री का पद देने की क्या जरूरत है।
उन्होंने कहा कि 18 फरवरी को हुए विश्वासमत के दिन पार्टी प्रमुख वी. के. शशिकला की ओर से अन्नाद्रमुक के 122 विधायकों ने पलानीस्वामी का समर्थन किया, जबकि पनीरसेल्वम ने सरकार के खिलाफ वोट दिया था।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को दोनों धड़ों के विलय से पहले सभी विधायकों के साथ परामर्श करना चाहिए था। विधायक ने कहा कि इसलिए हमने राज्यपाल को सूचित कर दिया है और कहा है कि मुख्यमंत्री को हटाया जाना चाहिए।
सूत्रों के मुताबिक दिनाकरण की ओर से आवास पर बुलाई गई बैठक में 18 विधायकों ने भाग लिया था। विधायकों में से एक पी. वर्तविल ने दावा किया था कि दिनाकरण को 25 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। तमिलनाडु की 234 सदस्यीय विधानसभा में अन्नाद्रमुक के 134 विधायक हैं। इसमें विधानसभा अध्यक्ष शामिल नहीं हैं। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता की आरके नगर विधानसभा सीट उनके निधन के बाद अभी तक रिक्त है। विपक्षी दल द्रमुक के पास 89 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास आठ और आईयूएमएल के पास एक विधायक हैं।