जलवायु परिवर्तन से निपटने में सरकार के कदमों को रेखांकित करते हुए वन, पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि दुनिया के समक्ष इस महत्वपूर्ण चुनौती से निपटने के लिये विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों से किये वादों को पूरा करना चाहिए तथा अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारियों को समझना चाहिए।
लोकसभा में नियम 193 के तहत जलवायु परिवर्तन के विषय पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए यादव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में ‘जलवायु न्याय’ एक महत्वपूर्ण तत्व है और इसे ध्यान में रखते हुए विकसित देशों को जलवायु परिवर्तन को लेकर अपनी जिम्मेदारी उठानी चाहिए ।उन्होंने कहा कि कोपेनहेगन में बैठक में दुनिया के विकसित देशों ने अपनी जिम्मेदारी को स्वीकार किया था। इन देशों ने शपथ ली थी कि इन प्रयासों में विकासशील देशों को 100 अरब डालर सहायता देनी चाहिए।
वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री ने कहा कि स्वभाविक रूप से जब विकसित एवं विकासशील देशों को मिलकर लक्ष्य हासिल करना है, ऐसे में विकसित देशों को विकासशील देशों को जलवायु वित्त पोषण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से सुविधाएं देनी चाहिए ।उन्होंने कहा, ‘‘ विकसित देशों ने विकासशील देशों से जो वादे किये हैं, उन्हें पूरा करना चाहिए । उन्हें अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारियों को समझना चाहिए।’’
भूपेंद्र यादव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन को लेकर चल रहे प्रयासों में पिछले 50 वर्षो में भारत की भूमिका हमेशा समाधानकारक देश की रही हैं ।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2018 में प्लास्टिक को हटाओ का आह्वान किया और इसी दिशा में एकल उपयोग प्लास्टिक पर रोक लगाने की हाल ही में अधिसूचना जारी की गई है।मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते में दुनिया के देशों ने इस विषय पर साझा लेकिन एक दूसरे से अलग जिम्मेदारियों के तहत अपनी राष्ट्रीय जरूरतों के अनुरूप लक्ष्य निर्धारित करने पर सहमति व्यक्त की थी ।उन्होंने कहा कि इसमें इस बात पर जोर दिया गया था कि हम तापमान को नियंत्रित करने के लिये क्या पहल कर सकते हैं ?
यादव ने कहा कि भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल था जिसने इन चुनौतियों के अनुरूप लक्ष्य घोषित किये और उन्हें समय से पहले पूरा किया ।उन्होंने कहा कि भारत सरकार जमीनी स्तर पर काम कर रही है। दुनिया में हमारीआबादी 17 प्रतिशत जबकि ग्लोबल वार्मिंग में हमारी हिस्सेदारी केवल चार प्रतिशत है। इसके बावजूद ग्लास्गो में हमने विकासशील देशों की आवाज उठाई। विकसित देशों को अपना दायित्व समझना ही होगा।
भूपेंद्र यादव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के जरिये प्रधानमंत्री मोदी ने एक ऐसी कार्ययोजना को आगे बढ़ाया है जिससे हम भविष्य में भारत के ऊर्जा क्षेत्र को अच्छे ढंग से अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जा सकते हैं।उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने जो बजट रखा है वो ‘ग्रीन बजट’ है तथा यह भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप है।वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री ने कहा कि विकसित देशों ने अपने ऐतिहासिक जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया, ऐसे में हमें अपनी बात रखनी चाहिये ।उन्होंने कहा कि देश की जैविक विविधता को बचाने की जरूरत है और सरकार इसको लेकर काम कर रही है।यादव ने कहा, ‘‘हमारी सरकार विकास और आम लोगों के जीवन में परिवर्तन दोनों को साथ लेकर चल रही है।’’उन्होंने कहा कि भारत की जीवनशैली दुनिया को यह बता रही है कि प्रकृति के साथ कैसे जीया जा सकता है ।
लोकसभा में नियम 193 के तहत जलवायु परिवर्तन के विषय पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए यादव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में ‘जलवायु न्याय’ एक महत्वपूर्ण तत्व है और इसे ध्यान में रखते हुए विकसित देशों को जलवायु परिवर्तन को लेकर अपनी जिम्मेदारी उठानी चाहिए ।उन्होंने कहा कि कोपेनहेगन में बैठक में दुनिया के विकसित देशों ने अपनी जिम्मेदारी को स्वीकार किया था। इन देशों ने शपथ ली थी कि इन प्रयासों में विकासशील देशों को 100 अरब डालर सहायता देनी चाहिए।
वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री ने कहा कि स्वभाविक रूप से जब विकसित एवं विकासशील देशों को मिलकर लक्ष्य हासिल करना है, ऐसे में विकसित देशों को विकासशील देशों को जलवायु वित्त पोषण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से सुविधाएं देनी चाहिए ।उन्होंने कहा, ‘‘ विकसित देशों ने विकासशील देशों से जो वादे किये हैं, उन्हें पूरा करना चाहिए । उन्हें अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारियों को समझना चाहिए।’’
भूपेंद्र यादव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन को लेकर चल रहे प्रयासों में पिछले 50 वर्षो में भारत की भूमिका हमेशा समाधानकारक देश की रही हैं ।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2018 में प्लास्टिक को हटाओ का आह्वान किया और इसी दिशा में एकल उपयोग प्लास्टिक पर रोक लगाने की हाल ही में अधिसूचना जारी की गई है।मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते में दुनिया के देशों ने इस विषय पर साझा लेकिन एक दूसरे से अलग जिम्मेदारियों के तहत अपनी राष्ट्रीय जरूरतों के अनुरूप लक्ष्य निर्धारित करने पर सहमति व्यक्त की थी ।उन्होंने कहा कि इसमें इस बात पर जोर दिया गया था कि हम तापमान को नियंत्रित करने के लिये क्या पहल कर सकते हैं ?
यादव ने कहा कि भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल था जिसने इन चुनौतियों के अनुरूप लक्ष्य घोषित किये और उन्हें समय से पहले पूरा किया ।उन्होंने कहा कि भारत सरकार जमीनी स्तर पर काम कर रही है। दुनिया में हमारीआबादी 17 प्रतिशत जबकि ग्लोबल वार्मिंग में हमारी हिस्सेदारी केवल चार प्रतिशत है। इसके बावजूद ग्लास्गो में हमने विकासशील देशों की आवाज उठाई। विकसित देशों को अपना दायित्व समझना ही होगा।
भूपेंद्र यादव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के जरिये प्रधानमंत्री मोदी ने एक ऐसी कार्ययोजना को आगे बढ़ाया है जिससे हम भविष्य में भारत के ऊर्जा क्षेत्र को अच्छे ढंग से अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जा सकते हैं।उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने जो बजट रखा है वो ‘ग्रीन बजट’ है तथा यह भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप है।वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री ने कहा कि विकसित देशों ने अपने ऐतिहासिक जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया, ऐसे में हमें अपनी बात रखनी चाहिये ।उन्होंने कहा कि देश की जैविक विविधता को बचाने की जरूरत है और सरकार इसको लेकर काम कर रही है।यादव ने कहा, ‘‘हमारी सरकार विकास और आम लोगों के जीवन में परिवर्तन दोनों को साथ लेकर चल रही है।’’उन्होंने कहा कि भारत की जीवनशैली दुनिया को यह बता रही है कि प्रकृति के साथ कैसे जीया जा सकता है ।