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रक्षा निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए राजनयिक चैनलों का होगा इस्तेमाल, सरकार ने की रूपरेखा तैयार

सरकार ने देश में विनिर्मित सैन्य उपकरणों तथा हथियारों के निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए एक रूपरेखा तैयार की है। रक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को कहा कि भारत में बने रक्षा उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहन के लिए राजनयिक चैनलों का इस्तेमाल किया जाएगा।

सरकार ने देश में विनिर्मित सैन्य उपकरणों तथा हथियारों के निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए एक रूपरेखा तैयार की है। रक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को कहा कि भारत में बने रक्षा उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहन के लिए राजनयिक चैनलों का इस्तेमाल किया जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसी महीने एक बड़े नीतिगत फैसले की घोषणा करते हुए कहा था कि चरणबद्ध तरीके से 101 सैन्य उपकरणों और हथियारों के आयात पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। इसके पीछे मकसद घरेलू रक्षा उद्योग को प्रोत्साहन देना है। 
रक्षा उत्पादन विभाग में सचिव राज कुमार ने सोमवार को एक वेबिनार में कहा कि घरेलू रक्षा उद्योग मित्र देशों के प्रतिनिधियों के साथ वेब परिचर्चा करेगा, जिससे यह पता चल सकेगा कि उन्हें किस तरह के उत्पादों और मंचों की जरूरत है। कुमार ने कहा, ‘‘हम देशों के आधार पर उत्पादों, हथियारों ओर मंचों का प्रोफाइल बना रहे हैं। इससे हमें पता चल सकेगा कि हमारे मित्र देशों को किन उत्पादों की जरूरत है। हम उद्योग की अगुवाई में वेब परिचर्चा की योजना बना रहे हैं।’’ 
उन्होंने कहा, ‘‘उस देश के रक्षा सहचारी, हमारे रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (डीपीएसयू) और उद्योग उसके बाद तय करेंगे कि हमारे पास क्या है जिसके निर्यात को प्रोत्साहन दिया जा सकता है।’’ कुमार ने कहा कि सरकार अपने रक्षा सहयोगियों, दूतावासों तथा राजनयिक चैनलों के जरिये निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए उद्योग के साथ खड़ी है। घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए रक्षा मंत्रालय ने नौ अगस्त को 101 रक्षा उपकरणों और हथियारों के आयात पर अंकुश लगाने की घोषणा की थी। 
कुमार ने कहा कि जल्द उन रक्षा उत्पादों की दूसरी सूची भी अधिसूचित की जाएगी जिनके आयात पर अंकुश लगाया जाना है। उद्योग मंडल फिक्की द्वारा आयोजित वेबिनार ‘आर्मी मेक प्रोजेक्ट्स 2020’ को संबोधित करते हुए कुमार ने कहा, ‘‘यह पहली सूची है जिसकी हम समीक्षा कर रहे हैं। जल्द दूसरी सूची भी आएगी।’’ उन्होंने उद्योग से कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि आप हमारी जरूरत को पूरा करने के लिए जल्द निवेश को आगे आएंगे। 
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एक बार बोली लगाने वाली सफल कंपनियां रक्षा उपकरण उत्पादन के चरण में पहुंचेंगी, उसके बाद विभाग उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के रक्षा गलियारा प्राधिकरणों से उनका ब्योरा साझा करेगा। वे आपकी इकाइयों को अपने राज्य में आकर्षित करने के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे। 
कुमार ने कहा, ‘‘चूंकि तीन सेवाएं रक्षा उत्पादन परियेाजनाओं के ‘मेक दो’ श्रेणी को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही ही हैं, वह परियोजना भागीदारों से उनकी चिंता को समझने के लिए बातचीत करेंगे और सेवाओं के बीच बेहतर व्यवहार को साझा करेंगे।’’ 
रक्षा उत्पादन विभाग का सचिव होने के नाते कुमार ‘मेक दो’ श्रेणी की परियोजनाओं को मंजूरी देने वाली ‘कॉलिजिएट’ समिति के प्रमुख हैं। ‘मेक दो’ श्रेणी में किसी भारतीय कंपनी को प्रोटोटाइप विकास प्रक्रिया में किसी तरह का धन नहीं दिया जाएगा। यदि कंपनी द्वारा विकसित प्रोटोटाइप सैन्य बलों द्वारा तय मानदंड को पूरा करता है, जो ऐसे उपकरणों का ऑर्डर दिया जाएगा। 

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