प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर मंगलवार को भी संसद भवन में बवाल हो सकता है। द्रमुक सांसद तिरुचि शिवा ने इस मुद्दे को लेकर राज्यसभा में नियम 267 के तहत कार्यस्थगन का नोटिस दिया है। सोमवार को भी इस मुद्दे को लेकर विपक्ष ने संसद के दोनों सदनों में जमकर हंगामा काटा।
वहीं राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा था कि आरक्षण बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा के खिलाफ है और वे एससी/एसटी और ओबीसी की प्रगति को रोक रहे हैं। उन्होंने कहा था, “आरक्षण खत्म करना आरएसएस और बीजेपी के डीएनए में है। वे इसे मिटाना चाहते हैं। हर सुबह जब वे जागते हैं तो उन्हें चिढ़ होती है। हम आरएसएस/बीजेपी के सपने को पूरा नहीं होने देंगे।
उन्होंने कहा, “मुद्दा यह है कि आरएसएस और बीजेपी दलितों, आदिवासियों, ओबीसी को आरक्षण मिलने के विचार के साथ नहीं रह सकते हैं और इससे उन्हें चिढ़ है और उन्होंने उन्हें मिटाने की कोशिश की है।” सोमवार को लोकसभा में, कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस मुद्दे को उठाया।
अधीर रंजन ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर दलितों को सशक्त बनाने वाले मुख्य हथियार को ‘बड़ा नुकसान’ पहुंचाने की बात कही और सरकार को फैसले पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा। सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्णय में कहा कि पदोन्नति में आरक्षण का दावा करना कोई मौलिक अधिकार नहीं है और राज्य नियुक्तियों में आरक्षण प्रदान करने के लिए बाध्य नहीं हैं।