लुधियाना-अमृतसर-बठिण्डा : 33 साल पहले हुए जख्मों के दर्द की पीड़ा को वर्तमान जनमानस तक पहुंचाने की खातिर नवंबर 1984 के दौरान हैवानियत की भेंट चढ़े निर्दोष सिखों को श्रद्धांजलि देने समेत भारत और न्याय प्रणाली को शर्मसार करते हुए भारतीय गुलामी विरूद्ध आजादी संघर्ष को जारी रखने के लिए दल खालसा द्वारा बठिण्डा के गुरूद्वारा हाजिर खां से गुरूद्वारा किला मुबारक तक सिख नस्लकुशी यादगार मार्च निकाला गया तो लुधियाना में भी दंगा पीडि़तों ने भारी मात्रा में इकटठा होकर फिरोजपुर रोड़ पर जोरदार प्रदर्शन किया और न्याय की दुहाई मांगी।
जबकि अमृतसर में भी ऑल इंडिया सिख स्टूडेंट फैडरेशन पीर मोहम्मद ग्रुप ने हस्ताक्षर अभियान शुरू किया, जिसमें 18 हजार से अधिक लोगों ने याचिका पर ऑन लाइन हस्ताक्षर किए और यह 26 नवंबर को ट्रम्प सरकार के पास अमेरिका स्थित वाइट हाउस में दायर की जाएंगी। इस कैंप में सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर के खिलाफ पुलिस और अदालत के पासशिकायत दायर करने वाले चश्मदीद गवाह जगमोहन सिंह और बीबी जगदीश कौर भी मौजूद थी। जिनके मुताबिक उन्हें आज तक न्याय नहीं मिला। संगठन ने इससे पहले भी यूएनओ के पास 10 लाख हस्ताक्षरों वाली याचिका दायर की थी कि भारत सरकार पर दबाव बनाकर पीडि़तों को न्याय दिलाया जाएं।
बठिण्डा में यादगार मार्च की अगुवाई रोडु शिरोमणि कमेटी द्वारा सच की आवाज को दबाने के लिए श्री अकाल तख्त साहिब से बरखास्त किए गए पंज प्यारों ने की। तख्त श्री दमदमा साहिब के पूर्व जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी बलवंत सिंह नंदगढ़, दल खालसा के प्रधान हरपाल सिंह चीमा, कवंरपाल सिंह बिटटू समेत उपप्रधान बाबा हरदीप सिंह की अगुवाई में अलग-अलग सिख संगठनों के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में शामिल हुए। 84 कत्लेआम के लिए भारतीय हुकूमत को दोषी ठहराते हुए संयुक्त राष्ट्र से जांच करवाकर दोषियों को सजा देने की अपील की गई। इस दौरान सिख पंथ ने बुलंद आवाज में कहा कि 84 जैसे कत्लेआम को दोहराने से रोकने के लिए एक ही हल भारत से आजादी है।
इस दौरान पीडि़त परिवारों ने रोष मार्च भी निकाला और उन्हें इंसाफ ना मिलने के लिए मौजूदा हाकमधड़ों को जिम्मेदार ठहराया। पंज प्यारों की अगुवाई में भाई सतनाम सिंह खंडे ने कहा कि जब श्री हरिमंदिर साहिब पर हमला करवाने के लिए जिम्मेदार इंद्रा गांधी को मारने वाले कौम के हीरो बेअंत सिंह को सजा नहीं मिल सकी तो 84 कत्लेआम पीडि़तों को इंसाफ कौन देंगा? उन्होंने कहा कि इंसाफ के लिए 84 के गहरे जख्मों की आवाज सदियों तक गूंजती रहेंगी और आजाद हिंदुस्तान सरकार के मुंह पर चपेड़ रहेंगी।
– सुनीलराय कामरेड