ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के प्रमुख और अजमेर दरगाह के उत्तराधिकारी हजरत सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने दिल्ली वक्फ अधिनियम के संशोधन बिल को लेकर आईएएनएस से खास बातचीत की। उन्होंने अपील की है कि अपने स्वार्थ के लिए इस बिल पर मुसलमानों को गुमराह न किया जाए।
हजरत सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल, सरकार के फैसले का स्वागत करती है। हम चाहते हैं कि इसमें दरगाह बोर्ड बनाया जाए। इसको लेकर हमने अजीत डोभाल साहब से बात की है। उम्मीद है कि वो हमारी बातों को सरकार तक पहुंचाएंगे और इसमें उचित संशोधन होगा।
सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने दिल्ली स्थित इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में पत्रकारों से कहा कि उनको केंद्र और राज्य सरकार पर पूरा यकीन है कि वो इस मामले में पूरी पारदर्शिता के साथ काम करेंगे। इसमें किसी को भी कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए, हमें उम्मीद है कि वक्फ संशोधन विधेयक का मसौदा पारदर्शी और सशक्त होगा। पूर्व में भी वक्फ अधिनियम में सरकार द्वारा कई संशोधन समय-समय पर किए हैं।
हज़रत सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि जो लोग भी इस बिल का विरोध कर रहे हैं, वे झूठा प्रचार कर समाज को धर्म के आधार पर बांटने की कोशिश कर रहे हैं। वे गैर जिम्मेदाराना बरताव कर रहे हैं। अच्छा होगा कि वे विरोध के बजाय अच्छे सुझाव देकर सरकार की मदद करें। जिससे सरकार इस बिल के जरिए एक अच्छा कानून बना सके और वक़्फ़ की बेशकीमती जमीनों का उचित उपयोग कर मुसलमान समाज का उत्थान किया जा सके।
उन्होंने कहा कि मसौदे की जांच के बाद, हम दरगाह के हितों से संबंधित अपनी सिफारिशें और प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगे। क्योंकि मौजूदा कानून दरगाह की स्थिति, इसके रीति-रिवाजों और परंपराओं के संबंध में स्पष्ट प्रावधान करने में विफल साबित हुई है।