देश की प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि क्षेत्रीय और स्थानीए भाषाओं में सीखने की शुरूआत शिक्षित, जागरूक और जीवंत समाज निर्माण की दिशा में एक अलग तरह का सफर तय करने के लिए एक पहल शुरू करनी होगी।
शहरी और ग्रामीण छात्रों को समान अवसर प्रदान करेगा- मुर्मू
मिली जानकारी के मुताबिक पता चला है कि राज्य के अपने दूसरे दिन के दौरे पर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की विभिन्न परियोजनाओं का शुभारंभ करते हुए श्रीमती मुर्मू ने कहा कि भाषा एक सक्षम कारक होनी चाहिए और छात्रों को शिक्षित करने में बाधित न हो। मातृभाषा में सीखने से छात्रों में रचनात्मक सोच और विश्लेषणात्मक कौशल विकसित होंगे। उन्होंने कहा कि यह शहरी और ग्रामीण छात्रों को समान अवसर प्रदान करेगा।
राष्ट्रपति द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं में ओडिया भाषा में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) की इंजीनियरिंग पुस्तकें, वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग (सीएसटीटी) और ई-कुंभ (नॉलेज अनलेशेड एकाधिक भारतीय भाषाओं में पोर्टल।) द्वारा विकसित ओडिया भाषा में तकनीकी शब्दों की शब्दावली शामिल है।
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने कही यह बड़ी बात
श्रीमती मुर्मू ने शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाने की दिशा में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की पहल को सराहनीय कदम बताया। उन्होंने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा प्रदान करने के लिए कदम उठाए हैं क्योंकि यह देखा गया है कि कई छात्रों को अंग्रेजी में तकनीकी शिक्षा को समझने में कठिनाई होती है। राष्ट्रपति ने कहा कि पहले क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा के कारण बाधाओं का सामना करना पड़ता था लेकिन स्थानीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों की अनुपलब्धता लेकिन एआईसीटीई ने अब इस बाधा को दूर कर दिया था। उन्होंने कहा, ‘‘ शिक्षा सशक्तिकरण का एक साधन है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारत का प्रत्येक बच्चे तक हर स्तर पर शिक्षा सुलभ हो। हमें बिना किसी भेदभाव के सभी को शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना है, राष्ट्रपति ने कहा कि ओडिया भाषा में तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने में कोई कठिनाई नहीं होगी क्योंकि ओडिया एक प्राचीन और समृद्ध भाषा है और इसकी एक विशिष्ट साहित्यिक परंपरा और समृद्ध शब्दावली है।’’