देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच शनिवार को एक राहत भरी खबर आई है। भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने डीआरडीओ द्वारा विकसित कोविड रोधी दवा के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि मुंह के जरिये ली जाने वाली इस दवा को कोरोना वायरस के मध्यम से गंभीर लक्षण मरीजों के इलाज में इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई है।
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि कोविड रोधी दवा 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) डीआरडीओ द्वारा हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज के साथ मिलकर विकसित की गई है। मंत्रालय ने बताया कि चिकित्सकीय परीक्षण में सामने आया कि 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) दवा अस्पताल में भर्ती मरीजों के जल्द ठीक होने में मदद करने के साथ-साथ अतिरिक्त ऑक्सीजन की निर्भरता को कम करती है।
मंत्रालय ने कहा कि क्लिनिकल परीक्षण में सामने आया है कि 2-डीजी दवा अस्पताल में भर्ती मरीजों के तेजी से ठीक होने में मदद करती है, अतिरिक्त ऑक्सीजन पर निर्भरता कम करती है। मिली जानकारी के अनुसार डीआरडीओ ने कोविड रोधी दवा 2-डीजी विकसित की है जो पाउडर के रूप में पैकेट में आती है, इसे पानी में घोल कर पीना होता है।
डीआरडीओ की 2-डीजी दवा वायरस से संक्रमित कोशिका में जमा हो जाती है और वायरस की वृद्धि को रोकती है। रक्षा मंत्रालय ने डीआरडीओ द्वारा विकसित कोविड-19 रोधी दवा के बारे में कहा कि वायरस से संक्रमित कोशिका पर चुनिंदा तरीके से काम करना इस दवा को खास बनाता है।
मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘एक मई को डीसीजीआई ने इस दवा को कोविड-19 के मध्यम एवं गंभीर लक्षण वाले मरीजों के इलाज के लिए सहायक पद्धति के रूप में आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी। सामान्य अणु और ग्लूकोज के अनुरूप होने की वजह से इसे भारी मात्रा में देश में ही तैयार किया जा सकता है।’’