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लॉकडाउन नहीं होता तो टूटता कोरोना का महाकहर, 30 लाख संक्रमितों के साथ 78 हजार मौतें हो सकती थी

लॉकडाउन के कारण कोविड-19 से संक्रमण के 14 से 29 लाख तक मामले कम किए जा सके जबकि 37 हजार से 78 हजार के बीच लोगों की जिंदगी बचा ली गई। यह बात शुकवार को सरकार ने विभिन्न अध्ययनों का हवाला देते हुए कही।

लॉकडाउन के कारण कोविड-19 से संक्रमण के 14 से 29 लाख तक मामले कम किए जा सके जबकि 37 हजार से 78 हजार के बीच लोगों की जिंदगी बचा ली गई। यह बात शुकवार को सरकार ने विभिन्न अध्ययनों का हवाला देते हुए कही। सरकार ने कहा कि अभूतपूर्व बंद से महामारी के खिलाफ लड़ाई में ‘‘काफी फायदा’’ हुआ है। 
नीति आयोग के अधिकार प्राप्त समूह एक के अध्यक्ष और सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल ने कहा कि भारत में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए लॉकडाउन समय पर, चरणबद्ध तरीके से, सक्रिय रूप से और एहतियात के तौर पर लगाया गया। सरकार ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए 25 मार्च से राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाया था और वर्तमान में इसका चौथा चरण जारी है। 
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के मामलों में कमी आने की ही तरह लॉकडाउन के कारण कोविड-19 से मरने वालों की संख्या काफी कमी आई है और लॉकडाउन से पहले तथा लॉकडाउन के बाद की स्थिति में काफी अंतर देखा गया है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के सचिव प्रवीण श्रीवास्तव ने संवाददाता सम्मेलन में कोविड-19 के मामलों और मौतों के विश्लेषण आधारित अनुमान बताए जिन्हें लॉकडाउन के कारण रोका जा सका है। 
उन्होंने कहा कि बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के मॉडल के मुताबिक, लॉकडाउन के कारण 1.2 लाख से 2.1 लाख लोगों की जिंदगी बचा ली गई जबकि 36 लाख से 70 लाख के बीच कोविड-19 से संक्रमण के मामलों को रोका गया है। श्रीवास्तव ने बताया कि पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के मुताबिक लॉकडाउन के कारण करीब 78 हजार जिंदगियां बचाई गई हैं। 
दो अलग-अलग अर्थशास्त्रियों के मॉडल का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण कोविड-19 से संक्रमण के करीब 23 लाख मामले और 68 हजार मौतों को रोका जा सका है। श्रीवास्तव ने बताया कि सेवानिवृत्त वैज्ञानिकों सहित कुछ स्वतंत्र विशेषज्ञों ने आकलन किया है कि लॉकडाउन के कारण संक्रमण के 15.9 लाख मामले और 51 हजार मौतों को रोका जा सका है। 
उन्होंने कहा कि सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय तथा भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के संयुक्त अध्ययन में पाया गया कि लॉकडाउन के कारण कोविड-19 से संक्रमण के करीब 20 लाख मामले और 54 हजार मौतों को रोका जा सका है। अधिकारी ने बताया कि लॉकडाउन के कारण कोविड-19 से संक्रमण के 14 लाख से 29 लाख मामले रोके जा सके तथा 37 हजार से 78 हजार के बीच लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकीं। 
श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘हमें पूरा विश्वास है कि लोगों के पूर्ण सहयोग से लॉकडाउन का पूरा फायदा मिला है।’’ इससे पहले स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि लॉकडाउन का इस्तेमाल उसने स्वास्थ्य क्षेत्र में आधारभूत ढांचे को मजबूत करने में किया है। इस दौरान देश भर में केवल कोविड-19 के उपचार के लिए करीब 3027 अस्पताल बनाए गए और 7013 स्वास्थ्य केंद्र तैयार किए गए। 
स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अभी तक कोविड-19 के 48 हजार 534 रोगी ठीक हो चुके हैं जो कुल मामलों का करीब 41 फीसदी है। उन्होंने कहा कि पिछले 24 घंटे में 3234 रोगी उपचार के बाद ठीक हो गए। अग्रवाल ने बताया कि कोविड-19 के कारण मृत्यु दर 19 मई को 3.13 फीसदी से कम होकर 3.02 फीसदी हो गई है क्योंकि अब ध्यान इसे रोके जाने के उपायों और मामलों के क्लीनिक प्रबंधन पर है। 
आईसीएमआर के एक अधिकारी के मुताबिक शुक्रवार को दोपहर एक बजे तक कोविड-19 के लिए 27 लाख 55 हजार 714 जांच किए गए हैं जिसमें एक लाख तीन हजार 829 जांच एक दिन में किए गए। अधिकारी ने बताया कि पिछले चार दिनों में हर दिन कोविड-19 के एक लाख से अधिक जांच किए गए हैं। 
वी. के. पॉल ने कहा कि कोरोना वायरस के मामलों में चार अप्रैल से काफी कमी आई है, जब लॉकडाउन के कारण मामलों की संख्या में बढ़ोतरी पर लगाम लगी। 
पॉल ने कहा कि भारत में कोविड-19 के मामले कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित रहे और 80 फीसदी सक्रिय मामले सिर्फ पांच राज्यों में हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 से मौत के करीब 80 फीसदी मामले महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में रहे हैं। 

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