भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता विनय विश्वम ने वन संरक्षण अधिनियम के नये नियमों के संदर्भ में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा है और कहा है कि इससे वन अधिकार कानून का ‘‘घोर उल्लंघन’’ होगा।विपक्षी दलों ने भी इस बात पर चिंता जताई है कि नये नियमों से निजी डेवलपर्स को बिना वनवासियों की सहमति लिए जंगल काटने की अनुमति मिल जाएगी। उनके मुताबिक यह एक ऐसा बदलाव है, जो वन अधिकार कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करता है।
विश्वम ने पत्र में लिखा कि नये नियमों के तहत
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 28 जून को वन संरक्षण अधिनियम के तहत जंगलों को काटने के संबंध में नए नियम अधिसूचित किए थे। ये नियम वर्ष 2003 के अधिसूचित नियमों का स्थान लेंगे।विश्वम ने पत्र में लिखा कि नये नियमों के तहत जंगल काटने से पहले अनुसूचित जनजातियों और अन्य वनवासी समुदायों से सहमति प्राप्त करने की जिम्मेदारी अब राज्य सरकार की होगी, जो कि पहले केंद्र सरकार के लिए अनिवार्य थी।
अनुसूचित जनजातियों और अन्य वनवासी समुदायों से सहमति
उन्होंने कहा, ‘‘इस कदम से वन अधिकार कानून का घोर उल्लंघन होगा क्योंकि जंगल काटने से पहले अनुसूचित जनजातियों और अन्य वनवासी समुदायों से सहमति प्राप्त करने की जिम्मेदारी अब राज्य सरकार की होगी।’’उन्होंने आरोप लगाया कि नये नियम जंगल की जमीन को बदलने की प्रक्रिया को कमजोर कर देंगे।विश्वम ने केंद्रीय मंत्री से नये नियमों को वापस लिए जाने की मांग की।