भारत और ऑस्ट्रेलिया ने आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और ऑस्ट्रेलिया के व्यापार, पर्यटन एवं निवेश मंत्री डैन टेहान ने आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन की मौजूदगी में समझौते पर करार हुआ।
इस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया टेक्सटाइल, चमड़ा, आभूषण और खेल उत्पादों समेत 95 फीसदी से अधिक भारतीय वस्तुओं के लिए अपने बाजार में शुल्क मुक्त पहुंच प्रदान करेगा। इस समझौते से द्विपक्षीय व्यापार पांच वर्ष में बढ़कर 45 से 50 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर पहुंचने की उम्मीद है, जो इस समय 27 अरब अमेरिकी डॉलर है।
PM मोदी ने समझौते को बताया ‘ऐतिहासिक’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समझौते को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि दोनों देश बहुत कम समय में इस समझौते पर पहुंचे हैं, जो दोनों देशों के बीच परस्पर विश्वास का सबूत है। उन्होंने कहा कि यह समझौता वैश्विक आपूर्ति शृंखला को भरोसेमंद बनाने और भारत-प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता में सहायक होगा। उन्होंने दोनों मंत्रियों और वार्ता में शामिल दोनों देशों के अधिकारियों की टीम को बधाई दी और कहा कि वह (श्री मोदी) इससे बहुत खुश हैं।
भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच प्रगाढ़ हो रहे संबंधों में जुड़ा एक और ऐतिहासिक आयाम
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मॉरिसन ने कहा कि यह समझौत (इंडऑस एकता) दोनों देशों के बीच निरंतर प्रगाढ़ हो रहे संबंधों में एक और ऐतिहासिक आयाम जुड़ गया है। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया कोयला, तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी), दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति के माध्यम से भारत के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि में सहयोग बढ़ सकेगा।
उन्होंने कहा कि आर्थिक एवं व्यापारिक सहयोग में स्थिरता क्वाड समूह के नेताओं के बीच बातचीत का एक मुख्य विषय रहता है। ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समझौते से शिक्षा, व्यापार, पर्यटन और अन्य क्षेत्रों में विस्तार होगा और यह अवसरों का एक विशाल द्वारा खेलने वाला समझौता है।
कोविड काल में भारत-ऑस्ट्रेलिया ने दो भाइयों की तरह आपस में किया सहयोग
वाणिज्य मंत्री गोयल ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया स्वाभाविक भागीदार हैं और दोनों देशों ने कोविड-19 महामारी के दौरान दो भाइयों की तरह आपस में सहयोग किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री मॉरिसन के बीच घनिष्ठता और दोनों की प्रेरणा से यह समझौता इतनी शीघ्रता से हो सका है। उन्होंने कहा कि इससे आने वाले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापारी वर्तमान 27 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 45 से 50 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।