विपक्षी दलों ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ के फैसले का स्वागत करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि इस ऐतिहासिक निर्णय से देश में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन का मार्ग प्रश्स्त होगा।
उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने बृहस्पतिवार को फैसला सुनाया कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सलाह पर की जाएगी, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे।
सरकार के पुरजोर विरोध के बाद यह निर्णय आया
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने फैसले का स्वागत करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी संस्था के प्रमुख की नियुक्ति को लेकर भी इसी प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए।सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार के पुरजोर विरोध के बाद यह निर्णय आया है। हम इसका स्वागत करते हैं। यह निर्णय व्यापक असर रखने वाला है। सरकार को इस निर्णय पर पूर्णत: अमल करना चाहिए।’’
ऐतिहासिक निर्णय से निर्वाचन प्रक्रिया की शुचिता कायम
कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘‘भाजपा के लोकतंत्र और संविधान विरोधी चाल, चेहरे और चरित्र को देखते हुए, देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय का दिया गया ये निर्णय बेहद महत्वपूर्ण है । लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करने की भाजपाई साजिश कभी कामयाब नहीं होगी ।’’कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि इस ऐतिहासिक निर्णय से निर्वाचन प्रक्रिया की शुचिता कायम रहेगी और आयोग स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी पूरी कर सकेगा।
निर्वाचन आयोग’ अब ‘अत्यंत सक्षम’ बन सकता
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि यह फैसला लोकतंत्र की जीत है।उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘उच्चतम न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय लोकतंत्र की जीत है। हम संविधान पीठ के निर्णय का स्वागत करते हैं। दमनकारी ताकतों के कुत्सित प्रयासों पर जनभावना की विजय होगी।’’
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओब्रायन ने कहा कि ‘बहुत ज्यादा समझौता करने वाला निर्वाचन आयोग’ अब ‘अत्यंत सक्षम’ बन सकता है।
संस्था पर निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय सिंह ने कहा कि इस फैसले से लोकतंत्र मजबूत होगा।उन्होंने कहा, ‘‘अब प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और प्रधान न्यायाधीश यह फैसला करेंगे कि निर्वाचन आयोग में कौन बैठेगा। निर्वाचन आयोग प्रधानमंत्री की जनसभाओं, योजनाओं की घोषणाओं को ध्यान में रखकर निर्वाचन तिथियां निर्धारित करता था जिससे इस संस्था पर निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे थे। इस फैसले से लोकतंत्र मजबूत होगा।’’
निर्वाचन आयुक्तों को अधिक स्वतंत्रता मिले
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि यह फैसला ऐतिहासिक है और अब चयन प्रक्रिया में बदलाव होगा।ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे निर्वाचन की प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता आने तथा निर्वाचन आयोग के और अधिक स्वतंत्र होने की उम्मीद है।उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र के लिए यह जरूरी है कि निर्वाचन आयोग में पारदर्शिता हो और निर्वाचन आयुक्तों को अधिक स्वतंत्रता मिले।’’