भाजपा महासचिव राम माधव ने चुनाव सुधार के तहत एक ऐसा ‘ चुनाव आयोग कैडर’ बनाने का सुझाव दिया जो किसी भी राजनीतिक हस्तक्षेप के बिना स्वतंत्र रूप से चुनाव आयोग की गतिविधियों को संभाले।
माधव ने शुक्रवार को यहां कहा, ‘‘ मेरा मानना है कि चुनाव आयोग की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। मेरा मानना है कि उसका अपना कैडर होना चाहिए। चुनाव आयोग कैडर बनना चाहिए…’’
उन्होंने कहा, ‘‘ यह एक सीमित कैडर हो सकता है जो किसी भी राजनीतिक हस्तक्षेप से स्वतंत्र, चुनाव आयोग की सारी गतिविधियां संभाले… शायद यह समय है जब हमारे पास उनके लिए एक अलग कैडर होना चाहिए।’’
माधव ‘इंडियन डेमोक्रेसी एट वर्क-मनी पॉवर इन पॉलिटिक्स’ पर यहां आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ सुधार प्रक्रिया में एक अहम मील का पत्थर हो सकता है।
भाजपा नेता ने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने की परंपरा को खत्म कर दिया जाना चाहिए और सिर्फ विश्वास प्रस्ताव लाने की परंपरा हो।
उन्होंने (सरकार की) राष्ट्रपति प्रणाली या आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली जैसे विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि हर प्रणाली में खामियां और सकारात्मक पक्ष होते हैं।
माधव ने कहा कि इस तरह के बदलाव होने तक, निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन होना चाहिए जिनमें (निर्वाचन क्षेत्रों का मौजूदा आकार छोटा करके) निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या में इज़ाफा हो। उन्होंने कहा कि इससे वर्तमान में जन प्रतिनिधियों के हाथों में केंद्रित शक्तियों में कमी आएगी।
भाजपा नेता ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लोकसभा की सीटों की संख्या बढ़ाकर 1,000 करने का सुझाव दिया है।
उन्होंने कहा कि निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्गठन तर्कसंगत तरीके से होना चाहिए। ताकि जन प्रतिनिधियों की सुपरमैन की छवि में बदलाव आए और वे ज्यादा जवाबदेह बनें।
माधव ने कहा कि राजनीतिक पार्टियां चुनाव के आखिरी दो दिनों के लिए ‘अलग बजट’ आवंटित करती हैं। यह बजट पहले के दिनों के बजट के मुकाबले काफी ज्यादा होता है। उन्होंने कहा कि इस चलन को खत्म कर देना चाहिए।
भाजपा ने कहा, ‘‘ उसके लिए, आंतरिक सुधार जरूरी हैं लेकिन कड़ी व्यवस्था भी होनी चाहिए। इस परिदृश्य को नियंत्रित करने के लिए चुनाव आयोग को और शक्तियां दी जानी चाहिए।’’
माधव ने कहा कि पश्चिमी लोकतंत्रों की मजबूती कड़ी निगरानी व्यवस्था पर है और इसी तरह की चुनाव निगरानी व्यवस्था देश में भी करने की जरूरत है।
वक्ताओं में शामिल, चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने उम्मीद जताई कि आयोग को मजबूती देने के लिए कुछ लंबित सुझावों को मंजूरी मिलेगी। उन्होंने कहा कि चुनाव सुधार को सरकार को अहमियत देनी चाहिए।