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चुनाव EVM से हो या फिर मतपत्र से, जनमत संग्रह के जरिये किया जाए निर्णय : वीरप्पा मोइली

र्व केंद्रीय मंत्री ने कहा ‘‘लेकिन यह जनमत संग्रह भी मशीन के जरिये नहीं बल्कि मतपत्रों के जरिये कराया जाना चाहिए। हमें सच तो पता चलना चाहिए। ’’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने सोमवार को कहा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर ”गंभीर संदेह” हैं और यह तय करने के लिए जनमत संग्रह होना चाहिए कि चुनाव ईवीएम से हों या फिर मतपत्रों से कराए जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि यह जनमत संग्रह भी मतपत्र के जरिये होना चाहिए और देश की जनता जिसके पक्ष में निर्णय दे, आगे से चुनाव उसी माध्यम से होना चाहिए। 
पूर्व केंद्रीय मंत्री मोइली ने कहा, ” ईवीएम मशीनों पर हर कोई संदेह कर रहा है। ईवीएम मशीनों को लेकर बहुत गंभीर संदेह है। अमेरिका जैसा देश भी ईवीएम का इस्तेमाल करने के बाद मतपत्र की तरफ लौट गया।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ईवीएम को लेकर ”गंभीर सन्देह” पैदा हो गए हैं और ऐसे में चुनाव आयोग एवं सरकार को मतपत्र की तरफ लौटना चाहिए। 
मोइली ने कहा, ”मेरा मानना है कि इस पर जनमत संग्रह कराया जाना चाहिए कि आगे चुनाव में ईवीएम का उपयोग किया जाए या फिर मतपत्रों से चुनाव कराया जाए।” पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा ‘‘लेकिन यह जनमत संग्रह भी मशीन के जरिये नहीं बल्कि मतपत्रों के जरिये कराया जाना चाहिए। हमें सच तो पता चलना चाहिए। ’’ 
उन्होंने कहा ‘‘भले ही यह राजग के पक्ष में जाए, कोई बात नहीं, लेकिन कम से कम संदेह तो दूर हो।’’ मोइली ने यह टिप्पणी उस वक्त की है जब जब कुछ दिनों पहले संप्रग प्रमुख सोनिया गांधी ने ईवीएम को लेकर इशारों-इशारों में सवाल खड़े किए थे। सोनिया ने अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली में कहा था, ”एक मुहावरा है कि बिना आग के धुआं नहीं उठता। इस बार के चुनाव में हर तरह के प्रपंच रचे गये। जो काम नैतिक या अनैतिक था, ये सब आप और सारा देश समझता है।” 
उन्होंने यह भी कहा था, ”हमारे देश की चुनाव प्रक्रिया को लेकर पिछले कुछ वर्षों से तरह-तरह के संदेह सामने आ रहे हैं।” यह पूछे जाने पर कि क्या 52 सांसदों के साथ कांग्रेस एक सशक्त विपक्ष की भूमिका निभा पाएगी तो मोइली ने कहा, ”हम 52 की संख्या में भी सशक्त विपक्ष की भूमिका निभा सकते हैं। 
1984 में बीजेपी के दो सांसद थे और (अटल बिहारी) वाजपेयी ने विपक्ष की भूमिका निभाई थी। संख्या महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि मकसद महत्वपूर्ण है। अकेले राहुल गांधी ही बहुत मजबूत आवाज उठा सकते हैं।” पार्टी को ”सॉफ्ट हिंदुत्व” से कोई फायदा नहीं होने संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा, ” धर्मनिरपेक्षता कांग्रेस की विचारधारा धारा के मूल में रहेगी। हमारा सिद्धांत देश के लिए उचित है। यह सिद्धांत वसुधैव कुटुंबकम का है। हमें युवाओं को बताना होगा कि कांग्रेस के रहते ही उनका और देश का भविष्य सुरक्षित है।” 

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