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10 अगस्त को कार्य बहिष्कार करेंगे देशभर के बिजली कर्मी, जानें क्या है मामला

केंद्र सरकार निजीकरण की दृष्टि से बिजली (संशोधन) विधेयक को संसद के मानसून सत्र में रखने जा रही है, जिसका बिजली कर्मियों और बिजली उपभोक्ताओं पर व्यापक प्रतिकूल असर होगा।

संसद के मानसून सत्र में केंद्र सरकार बिजली से जुड़े एक विधेयक में संशोधन करने की तैयारी कर रही है। केंद्र के इस संशोधन के खिलाफ बिजली कर्मियों के संगठन ने 10 अगस्त को पूरे देश में कार्य बहिष्कार की घोषणा की है। इस विरोध में तक़रीबन 15 लाख बिजली कर्मी शामिल होंगे।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने शुक्रवार को बताया कि बिजली (संशोधन) विधेयक के विरोध में प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मियों सहित देशभर के करीब 15 लाख बिजली कर्मी आगामी 10 अगस्त को एक दिन का कार्य बहिष्कार करेंगे।
उन्होंने बताया कि इससे पहले 19 जुलाई को राजधानी लखनऊ सहित सभी जिलों और बिजली परियोजना परिसरों में विरोध सभायें की जायेंगी और 29 जुलाई को प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बिजली कर्मियों का प्रान्तीय सम्मलेन होगा, जिसके माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा जाएगा।
संघर्ष समिति द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार निजीकरण की दृष्टि से बिजली (संशोधन) विधेयक को संसद के मानसून सत्र में रखने जा रही है, जिसका बिजली कर्मियों और बिजली उपभोक्ताओं पर व्यापक प्रतिकूल असर होगा। इस विधेयक को लेकर बिजली कर्मचारियों और बिजली उपभोक्ताओं से कोई राय नहीं ली गई है, केवल औद्योगिक घरानों से ही विचार विमर्श किया गया है।
बयान के मुताबिक केंद्र सरकार की इस एकतरफा कार्यवाही से बिजली कर्मियों में गुस्सा है। बिजली कर्मियों की मांग है इस विधेयक को जल्दबाजी में संसद से पारित कराने के बजाय लोकसभा में बिजली मामलों की स्थायी संसदीय समिति को भेजा जाए जिससे समिति के समक्ष बिजली कर्मी और उपभोक्ता अपना पक्ष रख सकें।

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