18वीं लोकसबा के पहले दिन सत्र के शुरू होने से आधे घंटे पहली प्रधानमंत्री मोदी ने इमरजेंसी का जिक्र किया। 25 जून यानि आज के दिन आपातकाल के 50 साल पूरे हो गए हैं। पीएम मोदी ने कहा कि 25 जून भूलने वाला दिन नहीं है। 25 जून 1975 को 21 महीने के लिए इमरजेंसी लागू की गई थी और करीब 21 मार्च 1977 तक यह चली थी। यह समय पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सरकार का दौर था। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत केंद्र में इंदिरा गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार की सिफारिश पर आपातकाल की घोषणा कर दी थी।
पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के निधन होने के बाद देश की पीएम बनीं इंदिरा गांधी का कुछ वजहों से न्यायपालिका के साथ तनाव शुरू हो गया था। यही टकराव आपातकाल की पृष्ठभूमि बना।
इंदिरा गांधी ने क्यों लिया इमरजेंसी का फैसला
साल 1971 के चुनाव में इंदिरा गांधी से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण को करारी शिकस्त दी थी। उन्होंने इंदिरा गांधी पर सरकारी मशीनरी और संसाधनों के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट में मामला दायर किया था। 12 जून 1975 हाई कोर्ट के जज जगमोहन लाल सिंहा ने इंदिरा गांधी को दोषी माना। उनका निर्वाचन अवैध हो गया और 6 साल के लिए उनके किसी भी चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई।
इसके बाद दूसरा कारण यह है कि जय प्रकाश नारायण कांग्रेस के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे और वह काफी तेजी से बढ़ रहा था। जेपी ने ने कोर्ट के इंदिरा गांधी को पीएम पद से हटने के आदेश का हवाला देकर स्टूडेंस्ट्स, सैनिकों और पुलिस से सरकार के आदेश ना मानने का आग्रह किया। इन सबसे इंदिरा गांधी काफी नाराज हो गई। उन्होंने बिना कैबिनेट की मीटिंग के ही आपातकाल लगाने की सिफारिश राष्ट्रपति से कर दी। इस पर तत्कालीन राष्ट्रपति ने 25 और 26 जून की मध्य रात्रि ही अपने साइन कर दिए। इसके बाद पूरे भारत में इमरजेंसी लागू हो गई
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